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7 बार यूजीसी नेट, 2 बार जेआरएफ क्वालीफाई, 3 सरकारी नौकरियां छोड़ पढ़ा रहे गुरुकुल में, छात्रों के साथ आए कुंभ नहाने - MAHA KUMBH MELA 2025

मिथिलांचल के गुरुकुल से 25 शिष्यों के साथ संगम स्नान करने पहुंचे हैं आचार्य रुपेश कुमार झा

बिहार के गुरुकुल से संगम स्नान पहुंचे गुरु-शिष्य.
बिहार के गुरुकुल से संगम स्नान पहुंचे गुरु-शिष्य. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 13, 2025, 1:08 PM IST

प्रयागराज:महाकुंभ में अलग-अलग तरह के रंग बिखरे पड़े हैं. देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग अमृत स्नान करने पहुंचे हैं. संगम तट पर दिव्य नजारा देखने को मिल रहा है. देश की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति ग्रहण करने वाले तमाम शिष्य भी अपने गुरु के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने को धन्य मान रहे हैं. इनमें आचार्य रुपेश कुमार झा भी हैं, जिनकी कहानी हैरान करने वाली है. गुरुकुल के गुरु आचार्य रुपेश कुमार झा ने 7 बार यूजीसी नेट, दो बार जेआरएफ क्वालीफाई किया. तीन सरकारी नौकरियां छोड़ने के बाद उन्होंने गुरुकुल ज्वॉइन कर लिया. अब वे सनातन धर्म के उत्थान में जुटे हैं. बिहार के मोतिहारी से यहां पहुंचे गुरुकुल के गुरु और शिष्यों से 'ईटीवी भारत' संवाददाता ने विशेष बातचीत की.

बिहार के गुरुकुल से संगम स्नान पहुंचे गुरु-शिष्य. (Video Credit; ETV Bharat)

आचार्य का लक्ष्य- पूरे बिहार में खोलें 108 गुरुकुल:आचार्य रुपेश कुमार झा ने 'ईटीवी भारत' से बताया कि वे सभी मिथिलांचल से आए हैं. मधुबनी जिले में लक्ष्मीपति गुरुकुल सरस उपाही गांव है. वहीं के गुरुकुल से 25 बच्चों के साथ महाकुंभ में स्नान करने आए हैं. कहा कि बहुत बड़ी बात है कि इस समय हम लोग यहां उपस्थित हैं. एक तो मनुष्य रूप में जन्म लेना और उसमें सनातन हिंदू धर्म में जन्म लेना, फिर संस्कृत विद्या अर्जन करके गंगा के तट पर बैठ पूजा-अर्चना कर पाए, यह सौभाग्य है. यह सारे बच्चे कहीं न कहीं सौभाग्यशाली हैं क्योंकि हमारे पास 125 के आसपास बच्चे हैं, लेकिन अभी यही लोग यहां पर आ पाए हैं. यह हमारा और इन बच्चों का भी सौभाग्य है. उनका कहना है कि हमारा लक्ष्य है कि हम पूरे मिथिलांचल, पूरे बिहार में 108 गुरुकुल अपने जीवन में खोलें.

आचार्य ने हासिल की कई सफलताएं:आचार्य रुपेश कुमार बताया कि उन्होंने तीन परमानेंट नौकरियां छोड़ दीं. 07 बार यूजीसी नेट क्वालीफाई किया और दो बार जेआरएफ क्वालीफाई किया. बताया कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की है. ब्रह्मचर्य आश्रम की गुरुकुल में शिक्षा ली है. कहा कि धर्म को लेकर सबसे ज्यादा सजग और सतर्क रहने की बड़ी आवश्यकता है. हमारे सनातन धर्म में जिस तरह से लोग रह रहे हैं, उससे अब काम चलने वाला नहीं है. हम सभी को एकजुट रहना पड़ेगा. यह महाकुंभ है. यह संगम है. इसमें सभी सनातनी महात्मा आकर डुबकी लगा रहे हैं और एकता का संदेश दे रहे हैं. यह हमारे लिए और सभी के लिए बड़े सौभाग्य की बात है.

गुरुकुल के नन्हे बालक को श्लोक कंठस्थ:गुरुकुल स्कूल में शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के लिए तैयार नन्हे बालक आयुष कुमार झा को संस्कृत के कई श्लोक अभी से कंठस्थ हैं. महामृत्युंजय मंत्र का लगातार जाप करते हैं. ईटीवी भारत से नन्हें शिष्य आयुष ने बात की. कहा, आज स्नान किया, बहुत अच्छा लग रहा है. अभी गुरुकुल में शिक्षा दीक्षा शुरू करने वाला हूं. संस्कृत के मंत्र और माहेश्वर सूत्र का उच्चारण भी शानदार तरीके से आयुष कुमार झा ने किया.

महाकुंभ में स्नान, एक सुखद अनुभूति:गौरव कुमार मिश्रा प्राग शास्त्री द्वितीय वर्ष द्वितीय सेमेस्टर की गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. वे भी आचार्य रुपेश कुमार झा के साथ महाकुंभ में पहुंचे हैं. संस्कृत में पढ़ाई करने के सवाल पर कहते हैं, आजकल सनातनियों को लोग डायवर्ट कर रहे हैं. लोग सनातन छोड़ रहे हैं. सनातनी बहुत नीचे जा रही है. इसके उन्नयन और बढ़ावे के लिए हम प्रयास करेंगे. महाकुंभ में स्नान कर बहुत सुखद अनुभूति हो रही है.

आधुनिकता को भी साथ लेकर चलना होगा:गुरुकुल के शिष्यअमोल कुमार झा शास्त्री प्रथम वर्ष में हैं. द्वितीय सेमेस्टर आने वाला है. कहते हैं, हम सिर्फ संस्कृत तक सीमित नहीं रहेंगे. हमारी सोच आधुनिकता के साथ भी जाना है. केवल पौराणिक इतिहास को लेकर आगे चलना संभव नहीं है, क्योंकि देश आगे बढ़ चुका है, इसलिए हमें आधुनिकता को भी साथ लेकर चलना पड़ेगा. हमें समाज के सभी तत्वों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है और सनातन को जागृत करने की बहुत आवश्यकता है. यहां पर आने के बाद एक अलग सकारात्मक एनर्जी अंदर से आ रही है, क्योंकि सभी संत महात्माओं का दर्शन होना एक बहुत ही ऊर्जा दायक पल है.

इंग्लिश माध्यम की पढ़ाई छोड़ गुरुकुल पहुंचे:गुरुकुल शिष्यशशि शेखर बताते हैं कि अभी 12वीं क्लास में एडमिशन लिया. इंग्लिश माध्यम की पढ़ाई छोड़कर गुरुकुल की तरफ लौटे हैं. बताया कि यहां संस्कृत की शिक्षा दीक्षा ले रहे हैं. संस्कृत देववाणी है. कहा कि, प्रभु श्री राम भी गुरुकुल शिक्षा पद्धति से आगे बढ़े तो हमने भी यही सोचा कि हम गुरुकुल से शिक्षा दीक्षा ग्रहण कर आगे बढ़ेंगे. हम सभी को जागृत करेंगे. संस्कृत देववाणी है इसलिए यह ज्यादा महत्व रखती है.

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