प्रयागराज:महाकुंभ में अलग-अलग तरह के रंग बिखरे पड़े हैं. देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग अमृत स्नान करने पहुंचे हैं. संगम तट पर दिव्य नजारा देखने को मिल रहा है. देश की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति ग्रहण करने वाले तमाम शिष्य भी अपने गुरु के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने को धन्य मान रहे हैं. इनमें आचार्य रुपेश कुमार झा भी हैं, जिनकी कहानी हैरान करने वाली है. गुरुकुल के गुरु आचार्य रुपेश कुमार झा ने 7 बार यूजीसी नेट, दो बार जेआरएफ क्वालीफाई किया. तीन सरकारी नौकरियां छोड़ने के बाद उन्होंने गुरुकुल ज्वॉइन कर लिया. अब वे सनातन धर्म के उत्थान में जुटे हैं. बिहार के मोतिहारी से यहां पहुंचे गुरुकुल के गुरु और शिष्यों से 'ईटीवी भारत' संवाददाता ने विशेष बातचीत की.
आचार्य का लक्ष्य- पूरे बिहार में खोलें 108 गुरुकुल:आचार्य रुपेश कुमार झा ने 'ईटीवी भारत' से बताया कि वे सभी मिथिलांचल से आए हैं. मधुबनी जिले में लक्ष्मीपति गुरुकुल सरस उपाही गांव है. वहीं के गुरुकुल से 25 बच्चों के साथ महाकुंभ में स्नान करने आए हैं. कहा कि बहुत बड़ी बात है कि इस समय हम लोग यहां उपस्थित हैं. एक तो मनुष्य रूप में जन्म लेना और उसमें सनातन हिंदू धर्म में जन्म लेना, फिर संस्कृत विद्या अर्जन करके गंगा के तट पर बैठ पूजा-अर्चना कर पाए, यह सौभाग्य है. यह सारे बच्चे कहीं न कहीं सौभाग्यशाली हैं क्योंकि हमारे पास 125 के आसपास बच्चे हैं, लेकिन अभी यही लोग यहां पर आ पाए हैं. यह हमारा और इन बच्चों का भी सौभाग्य है. उनका कहना है कि हमारा लक्ष्य है कि हम पूरे मिथिलांचल, पूरे बिहार में 108 गुरुकुल अपने जीवन में खोलें.
आचार्य ने हासिल की कई सफलताएं:आचार्य रुपेश कुमार बताया कि उन्होंने तीन परमानेंट नौकरियां छोड़ दीं. 07 बार यूजीसी नेट क्वालीफाई किया और दो बार जेआरएफ क्वालीफाई किया. बताया कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की है. ब्रह्मचर्य आश्रम की गुरुकुल में शिक्षा ली है. कहा कि धर्म को लेकर सबसे ज्यादा सजग और सतर्क रहने की बड़ी आवश्यकता है. हमारे सनातन धर्म में जिस तरह से लोग रह रहे हैं, उससे अब काम चलने वाला नहीं है. हम सभी को एकजुट रहना पड़ेगा. यह महाकुंभ है. यह संगम है. इसमें सभी सनातनी महात्मा आकर डुबकी लगा रहे हैं और एकता का संदेश दे रहे हैं. यह हमारे लिए और सभी के लिए बड़े सौभाग्य की बात है.
गुरुकुल के नन्हे बालक को श्लोक कंठस्थ:गुरुकुल स्कूल में शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के लिए तैयार नन्हे बालक आयुष कुमार झा को संस्कृत के कई श्लोक अभी से कंठस्थ हैं. महामृत्युंजय मंत्र का लगातार जाप करते हैं. ईटीवी भारत से नन्हें शिष्य आयुष ने बात की. कहा, आज स्नान किया, बहुत अच्छा लग रहा है. अभी गुरुकुल में शिक्षा दीक्षा शुरू करने वाला हूं. संस्कृत के मंत्र और माहेश्वर सूत्र का उच्चारण भी शानदार तरीके से आयुष कुमार झा ने किया.