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गया के बेलागंज में समर्थकों ने कल किया था बवाल, आज प्रशांत किशोर ने काट ली टिकट

प्रशांत किशोर ने बेलागंज के प्रत्याशी के नाम का टिकट काट दिया. कल समर्थकों ने उनके समर्थन में जमकर नारेबाजी और बवाल किया था.

बवाल करने वाले समर्थकों के प्रत्याशी का कटा टिकट
बवाल करने वाले समर्थकों के प्रत्याशी का कटा टिकट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 19, 2024, 3:58 PM IST

गया : बिहार के गया में शुक्रवार को प्रशांत किशोर की मौजूदगी में उपचुनाव के टिकट की घोषणा के वक्त जिस उम्मीदवार के समर्थकों ने हंगामा किया उसका टिकट काट दिया. खास बात ये है कि प्रशांत किशोर ने उसी से दूसरे प्रत्याशी के नाम की घोषणा कराई. यानी ये साफ हो गया है कि गया के बेलागंज से प्रोफेसर खिलाफत हुसैन (72 वर्ष) जन सुराज की ओर से प्रत्याशी होंगे.

बवाल करने वाले समर्थकों के प्रत्याशी का कटा टिकट: बता दें कि प्रशांत किशोर ने पहले अमजद हुसैन को बेलागंज से उम्मीदवार बनाया था लेकिन हंगामा करने की वजह से पीके ने विरोध को इस तरह शांत कर दिया कि विरोध की गुंजाइश भी चुनाव में नजर न आए. एक ओर जहां प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को प्रत्याशी बनाया वहीं, अमजद हुसैन को बेलागंज विधानसभा का इंचार्ज भी नियुक्त कर दिया.

बवाल करने वाले समर्थकों के प्रत्याशी का कटा टिकट (ETV Bharat)

खिलाफत हुसैन होंगे जन सुराज के प्रत्याशी: वहीं जब बेलागंज में प्रोफेसर खिलाफत हुसैन के नाम का प्रस्ताव अमजद हुसैन की ओर से रखा जा रहा था उस वक्त कैंडिडेट मौजूद नहीं थे. मीडिया कर्मियों ने जब इसका कारण पूछा तो बताया गया कि वह अभी से जनता के बीच में लगे हुए हैं. हालांकि प्रशांत किशोर ने कहा के पार्टी और जनमत अमजद हुसैन के समर्थन में था, पार्टी ने अमजद हुसैन को ही उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अमजद हुसैन ने पार्टी को विस्तार करने के लिए अपनी दावेदारी वापस ले ली है, अब खिलाफत हुसैन प्रत्याशी होंगे.

खिलाफत हुसैन नहीं रहे मौजूद: प्रशांत किशोर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेलागंज से अमजद हुसैन और इमामगंज के प्रत्याशी डॉ जितेंद्र पासवान के इलावा कई नेता मौजूद रहे, लेकिन बेलागंज विधानसभा से जन सुराज के प्रत्याशी खिलाफत हुसैन प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद नहीं थे.

ईटीवी भारत के सवालपर प्रशांत किशोर ने कहा कि ''किसी कारण यहां वह नहीं पहुंच पाए हैं. पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है और वह क्षेत्र में लग गए हैं'', जबकि उनके नहीं आने के कारण लोगों के द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि कल शाम अमजद हुसैन के समर्थकों के हंगामा के कारण खिलाफत हुसैन आज प्रेस कांफ्रेंस में नहीं पहुंचे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि शायद अगर उनके नाम की घोषणा नहीं होगी तो हंगामा और भी खड़ा हो सकता है, पार्टी ने उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं बुलाया था.

बेलागंज उपचुनाव में जन सुराज के उम्मीदवार खिलाफत हुसैन (ETV Bharat)

कौन हैं खिलाफत हुसैन? : खिलाफत हुसैन मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज के मैथमेटिक्स विभाग के विभाग अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हैं, बेलागंज चाकंद थाना क्षेत्र के अमडहा पंचायत में स्थित चातरघाट गांव के निवासी हैं, 72 वर्ष के खिलाफत हुसैन का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान है, खिलाफत हुसैन का इससे पहले राजनीति से कोई मतलब नहीं रहा, रिटायरमेंट के बाद धार्मिक कार्य में ही रहे हैं.

मगध यूनिवर्सिटी से पीएचडी : खिलाफत हुसैन 1966 में चाकंद हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया, उन्होंने पीएचडी तक की शिक्षा मगध यूनिवर्सिटी से प्राप्त किया, 1976 में अल्पसंख्यक कॉलेज ' मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज गया ' शिक्षक बहाल हुए और 2017 में सेवानिवृत हुए, नौ बच्चों के पिता खिलाफत हुसैन का कारोबार बिरयानी होटल का भी है, रॉयल बिरयानी के नाम से गया समेत बंगाल के मालदा और कोलकाता में होटल है, हालांकि उनके बच्चे बिरियानी होटल चलाते हैं.

पिता रहे हैं मुखिया : 72 वर्षीय खिलाफत हुसैन का राजनीति से सीधे संबंध उनका तो नहीं रहा है, लेकिन गांव की राजनीति में पले बढ़े हैं, खिलाफत हुसैन के पिता मोहम्मद निजामुद्दीन 9 सालों तक अमडहा पंचायत के मुखिया रहे हैं, खिलाफत हुसैन के एक पुत्र औरंगजेब आलम मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज गवर्निंग बॉडी के सदस्य हैं. जबकि उनकी एक बहू मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज में कर्मचारी हैं. बेलागंज विधानसभा सीट सुरेंद्र यादव के सांसद बनने के बाद खाली हुई है बेलागंज राजद का मजबूत गढ़ माना जाता है.

टिकट कटने वाले अमजद हुसैन कौन? : अमजद हुसैन 2000 से राजनीति में सक्रिय है, पहली बार 2002 में मखिया बने और 2004 में लोक जनशक्ति पार्टी की टिकट पर बेलागंज विधानसभा से चुनाव लड़ा, बाद में उन्होंने लोकजनशक्ति पार्टी को छोड़कर जदयू की सदस्यता ग्रहण की और 2005 के विधानसभा का चुनाव जदयू से लड़ा, 2010 में भी रजद के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव के खिलाफ जदयू से चुनाव लड़ा, 40 हज़ार से अधिक उन्हें मत मिले, हालांकि तीनों बार बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से उनकी हार हुई.

3 महीने पहले ली जन सुराज की सदस्यता: 2015 में जदयू राजद कांग्रेस के गठबंधन के कारण बेलागंज विधानसभा से अमजद हुसैन को जदयू से टिकट नहीं मिली, उस चुनाव में वह राजद के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव के प्रचार प्रसार में लग गए, 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू ने अमजद हुसैन को प्रत्याशी नहीं बनाया, यहां से जदयू ने अभय कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया था, पार्टी की ओर से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से नाराज अमजद हुसैन ने जदयू छोड़कर अपने कामकाज में लग गए, पिछले 3 वर्षों से वह राजनीति में सक्रिय नहीं थे, 3 महीना पहले उन्होंने जन सुराज की सदस्यता ली थी.

''पार्टी ने मुझे प्रत्याशी बनाया था लेकिन मैं नहीं चाहता कि अभी उपचुनाव लड़ें, इसलिए साफ छवि वाले प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उन्होंने प्रत्याशी बनाने का समर्थन किया है. मेरा लक्ष्य है कि 30 वर्षों से जिस राजद के प्रत्याशी का कब्जा है, उससे क्षेत्र के लोगों को उन से मुक्ति दिलाई जाए. पहले 30 वर्षों तक पिता रहे और अब बेटे को स्थापित करना चाहते हैं. मैं पार्टी से नाराज नहीं हूं, पूरे मन से पार्टी के लिए लगा हुआ हूं और बेलागंज विधानसभा के लिए पार्टी ने मुझे ही इंचार्ज बनाया है.''- अमजद हुसैन, जन सुराज, इंचार्ज, बेलागंज विधानसभा

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