रांचीः झारखंड में घोषणाओं की झड़ी लगी हुई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा का संकल्प पत्र जारी करते हुए तीन ऐसी बड़ी घोषणाएं की है, जिसकी जोर शोर से चर्चा हो रही है. उन्होंने झारखंड के ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने, UCC से आदिवासी समाज को बाहर रखने और बांग्लादेशी घुसपैठियों की जमीन आदिवासियों को लौटाने का वादा किया है.
अमित शाह द्वारा चुनाव पूर्व की गई इन तीनों बड़ी घोषणाओं को कांग्रेस ने शिगूफा बताया है. कांग्रेस प्रवक्ता कमल ठाकुर ने कहा कि रघुवर सरकार के समय तक ओबीसी को 14% आरक्षण मिलता था लेकिन हेमंत सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर 27% कर दिया, इसमें नया क्या है. UCC से आदिवासी समाज को बाहर रखने की घोषणा पर उन्होंने कहा कि भाजपा को पहले यह बताना चाहिए कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार क्यों हो रहा है.
बता दें कि झामुमो और कांग्रेस के नेता बार-बार कहते आ रहे हैं कि भाजपा एक साजिश के तहत UCC लाना चाहती है. इसके लागू होते ही आदिवासियों का अधिकार छिन जाएगा. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार बनने पर झारखंड में आदिवासी समाज को UCC से बाहर रखा जाएगा. इससे उनका पारंपरिक कानून, रीति रिवाज और संस्कृति सुरक्षित रहेगी.
झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति
सबसे खास बात है कि भाजपा के संकल्प में ओबीसी के आरक्षण की सीमा 14% से बढ़कर 27% करने का वादा किया गया है लेकिन इस बात का भी जिक्र है कि एसटी और एससी को मिल रहा आरक्षण यथावत रहेगा. दरअसल, झारखंड राज्य बनने के बाद से ही ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने की राजनीति होती रही है. 11 नवंबर 2022 को हेमंत सरकार ने विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कराया था. इसमें एसटी का आरक्षण 26% से बढ़कर 28%, ओबीसी का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27%, एसी का आरक्षण 10% से बढ़ाकर 12% करने का प्रावधान है.
विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा करते हुए राज भवन भेजा गया था. राजभवन ने यह कहकर विधेयक लौटा दिया था कि इसमें पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा नहीं थी. दरअसल, उस वक्त पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष और सदस्य का पद रिक्त था. फिर राज्य सरकार ने 24 जनवरी, 2024 को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर योगेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया. इसके बाद आयोग ने आरक्षण प्रस्ताव को बोर्ड में पारित कर इसकी अनुशंसा सरकार को भेजा, अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है.