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Jharkhand Election 2024: दोस्ती-दुश्मनी कुछ नहीं, चुनाव जरूरी है साहब!

चुनाव सामने है, ऐसे में कई नेता अपने दल से नाराज होकर इस्तीफा दे रहे हैं तो वहीं नई पार्टियों का दामन थाम रहे हैं.

Jharkhand Election 2024
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 22, 2024, 5:53 AM IST

रांची: राजनीति में न कोई किसी का सगा, न कोई किसी का दुश्मन, ये कहावत तो कई बार सुनी होगी. लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आता है, ये कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होने लगती है. कुछ ऐसी ही बानगी अभी झारखंड में भी देखने मिल रही है. एक ओर चुनाव की तैयारियों चल रही हैं, तो दूसरी ओर इस्तीफा और पाला बदलने का दौर भी चल रहा है. टिकट की चाह में कई नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं. लगभग सभी पार्टियों में रिजाइन और ज्वाइंनिग की होड़ लगी हुई है.

झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान कई नेताओं ने अपनी मौजूदा पार्टियां से इस्तीफा दे दिया है. जिनमें कई ने दूसरी पार्टी का दामन भी थाम लिया है. वहीं कई इंतजार में हैं कि किस पार्टी में जाना उनके भविष्य के लिए सही रहेगा. अपनी पार्टी से इस्तीफा देने और दल बदलने वाले नेताओं की लिस्ट काफी लंबी है.

दल बदलने वाले नेता (ईटीवी भारत)

झामुमो के कद्दावर चंपाई सोरेन बने भाजपा के बड़े चेहरे

नेताओं के पाला बदलने का खेल सिर्फ चुनाव के समय नहीं होता. चुनाव को देखते हुए चुनाव के काफी पहले भी नेता पाला बदलते हुए देखे गए हैं. झारखंड के परिपेक्ष में चंपाई सोरेन का नाम इसमें प्रमुख है. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन चुनाव के करीब तीन महीने पहले झामुमो को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हुए. सीएम हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. इसके बाद से ही उनकी पार्टी छोड़ने की अटकलें चल रही थी. आखिरकार बीजेपी में शामिल होकर उन्होंने इन अटकलों पर विराम लगा दिया. फिलहाल इस चुनाव में वह बीजेपी के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं और सरायकेला सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं.

भाजपा के लोबिन

इस लिस्ट में झामुमो के कद्दावर नेता लोबिन हेंब्रम का नाम भी शामिल हैं. आदिवासी हितों की लड़ाई लड़ने वाले लोबिन झामुमो में रहते हुए भी हेमंत सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे. लोकसभा चुनाव में झामुमो प्रत्याशी विजय हांसदा के खिलाफ वे निर्दलीय चुनाव लड़ गए. जिसके बाद झामुमो ने उन्हें पार्टी से निलबिंत कर दिया. जिसके बाद उन्होंने झामुमो का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया.

अगला नाम सरयू राय का है. सरयू राय ने 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर वे जमशेदपुर पूर्वी के विधायक बने. बाद में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई. जिसका नाम भारतीय जन मोर्चा रखा. लेकिन फिलहाल वे जदयू में शामिल हो गए हैं और चर्चा है कि जमशेदपुर पश्चिमी सीट से वे जदयू के उम्मीदवार होंगे.

विरोध के बावजूद कमलेश सिंह भाजपा में शामिल

इन सभी नेताओं के अलावा कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने चुनाव के ठीक पहले पार्टी बदल ली. इनमें हुसैनाबाद विधायक कमलेश सिंह का प्रमुख है. क्योंकि एनसीपी से बीजेपी में शामिल होने वाले कमलेश सिंह को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने काफी विरोध भी किया. हालांकि फिर भी भाजपा ने हुसैनाबाद सीट से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है.

कमलेश सिंह के अलावा मंजू देवी, केदार हाजरा, जनार्दन पासवान, उमाकांत रजक, राजा पीटर, रौशनलाल चौधरी आदि ने भी दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली है. कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं मंजू देवी जमुआ से भाजपा की प्रत्याशी हैं. वहीं भाजपा के टिकट पर विधायक बने केदार हाजरा इस बार झामुमो में शामिल हो चुके हैं और वे मंजू देवी के खिलाफ चुनाव लड़ते नजर आ सकते हैं. आजसू से झामुमो में शामिल हुए उमाकांत रजक नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी को टक्कर देते नजर आ सकते हैं. वहीं भाजपा नेत्री लुईस मरांडी ने भी भाजपा छोड़ झामुमो ज्वाइन कर लिया है. चर्चा ये भी है कि झामुमो लुईस मरांडी को जामा सीट से अपना प्रत्याशी बना सकता है. लुईस मरांडी के अलावा गणेश महली भी भाजपा से इस्तीफा देकर झामुमो में शामिल हो गए हैं. वहीं भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी भी झामुमो में शामिल हो गए हैं.

इन नेताओं ने दिया पार्टी से इस्तीफा

इन नेताओं के अलावा कुछ ऐसे भी नेता हैं जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा तो दे दिया है, लेकिन किस पार्टी में शामिल होंगे इसका खुलासा नहीं किया है. इनमें नाला से भाजपा नेता सत्यानंद झा बाटूल का नाम शामिल हैं. वहीं पोटका से पूर्व विधायक मेनका सरदार ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, बाद में उन्हें मना लिया गया और उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया.

विधानसभा चुनाव होने में अभी और भी समय है, ऐसे में पार्टी छोड़ने वाले और दूसरे पार्टी का दामन थामने वाले नेताजी की संख्या बढ़ भी सकती है, क्योंकि, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता है.

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