नई दिल्ली:केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा को बताया कि हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना फरवरी 2025 तक लागू होने वाली है.नवंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक और निजी संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रतिभाशाली छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी थी. इस योजना के तहत छात्र भारत में उच्च शिक्षा के लिए ऐजूकेशन लोन प्राप्त कर सकते हैं.
सीतारमण ने घोषणा की कि इस योजना के तहत 75 फीसदी क्रेडिट गारंटी के साथ 7.5 लाख रुपये तक के लोन उपलब्ध होंगे. इसके अलावा सालाना 8 लाख रुपये तक की आय वाले परिवारों के छात्र उच्च शिक्षा के लिए 7.5 लाख रुपये से अधिक के लोन के लिए पात्र होंगे. 10 लाख रुपये तक के इन लोन पर 3 प्रतिशत तक ब्याज में छूट मिलेगी. 4.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को ब्याज में फुल छूट मिलेगी.
पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर में पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रतिभाशाली छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. इस पहल का उद्देश्य भारत में टॉप 860 गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकित छात्रों को बिना किसी गारंटर की आवश्यकता के ऐजूकेशन लोन प्रोवाइड करना है. इन संस्थानों में कई सरकारी और निजी संस्थाएं शामिल हैं.
इस योजना के लिए 2024-2025 से 2030-31 तक की अवधि के लिए लगभग 3,600 करोड़ रुपये का आवंटित बजट है. इसे अनुकूल ब्याज दरों पर 7.5 लाख रुपये तक का लोन प्रदान करके वार्षिक आधार पर 2.2 मिलियन छात्रों का समर्थन करने के लिए डिजाइन किया गया है.
स्कीम को लेकर अहम डिटेल
यह प्रोग्राम नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) द्वारा निर्धारित टॉप योग्य उच्च शिक्षा संस्थानों (QHEI) के लिए शुरू होगा. इसमें सभी उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) शामिल होंगे, चाहे वे सरकारी हों या निजी, जिन्हें समग्र, कैटेगरी-स्पेसिफिक और डोमेन-स्पेसिफिक रैंकिंग में NIRF में टॉप 100 में स्थान दिया गया है.
इसके अलावा, NIRF रैंकिंग में 101-200 के बीच रैंक वाले राज्य सरकार के HEI और सभी केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्थान भी कार्यक्रम के लिए योग्य होंगे. पात्र संस्थानों की सूची की समीक्षा सबसे हालिया NIRF रैंकिंग के आधार पर सालाना की जाएगी. शुरुआत में इस योजना में 860 योग्य संस्थान शामिल होंगे.