PM Modi visit landslide-affected areas in Kerala: केरल के वायनाड में भूस्खलन से भारी तबाही के बाद प्रभावित लोगों को जीवन यापन की सुविधा प्रदान करने की कोशिश की जा रही है. इस उद्देश्य से प्रभावित क्षेत्रों में सामूहिक सर्च ऑपरेशन चलाया गया. राहत बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के लिए पीएम मोदी ने शनिवार को वायनाड का दौरा किया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हवाई सर्वेक्षण (ANI video)
कोझिकोड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया. इस दौरान उन्होंने भूस्खलन की उत्पत्ति देखी जो इरुवाझिंजी पुझा (नदी) के उद्गम स्थल पर है. उन्होंने पुंचिरिमट्टम, मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया. इस दौरान उन्हें बचाव कार्यों के बारे में जानकारी दी गई. इस बीच राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी भी मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ समीक्षा बैठक भी की.
बैठक के बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि "जब से मुझे इस घटना के बारे में पता चला है, तब से मैं भूस्खलन के बारे में जानकारी ले रहा हूं. केंद्र सरकार की सभी एजेंसियां जो इस आपदा में मदद कर सकती थीं, उन्हें तुरंत सक्रिय किया गया. यह आपदा सामान्य नहीं है. हजारों परिवारों के सपने चकनाचूर हो गए हैं. मैंने मौके पर जाकर हालात देखे हैं. मैंने राहत शिविरों में पीड़ितों से मुलाकात की, जिन्होंने इस आपदा का सामना किया. मैंने अस्पताल में घायल मरीजों से भी मुलाकात की."
प्रधानमंत्री के दौरे से वायनाड और केरल को काफी उम्मीदें हैं. केरल सरकार ने पुनर्वास गतिविधियों के लिए तत्काल 2000 करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की है. केरल ने पहले ही केंद्र को सूचित कर दिया है कि 1200 करोड़ का नुकसान हुआ है.
राज्य सरकार ने आपदाग्रस्त भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए चरणबद्ध तरीके से लागू की जाने वाली योजना की रूपरेखा तैयार की है. मुख्य सचिव इसे प्रधानमंत्री की मौजूदगी में समीक्षा बैठक में पेश करेंगे. केरल ने वायनाड आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की है. विपक्ष के नेता वीडी सतीशन का भी कहना है कि अगर वायनाड आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में कोई तकनीकी बाधा है तो विशेष पैकेज की अनुमति दी जानी चाहिए.
प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर वायनाड में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई. सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालने वाली एसपीजी टीम दो दिन पहले से ही वायनाड में हैं. माओवादी इलाके में पहाड़ की चोटी पर थंडरबोल्ट तैनात किया गया है. मेप्पाडी से चूरलमाला तक वाहनों की आवाजाही पर रोक है. यहां बड़ी संख्या में पुलिस की टीम तैनात की गई है. थमारसेरी घाट रोड पर आज यातायात प्रतिबंध लगाया गया. दोपहर 3 बजे तक थमारसेरी दर्रे से गुजरने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया. भारी वाहन, मल्टी-एक्सल-लोडेड वाहन और अन्य मालवाहक वाहनों को अनुमति नहीं दी जाएगी.
प्रधानमंत्री का स्वागत मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने सुबह करीब 11:30 बजे कन्नूर एयरपोर्ट पर किया. इसके बाद नरेंद्र मोदी हेलीकॉप्टर से वायनाड के लिए रवाना हुए. प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से आपदा प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री कलपेट्टा से सड़क मार्ग से चूरलमाला पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री बेली ब्रिज जाएंगे और बचाव कार्य में शामिल जवानों को हौंसला अफजाई करेंगे. प्रधानमंत्री इलाज करा रहे लोगों और राहत शिविरों में रह रहे लोगों से भी मिलेंगे. इसके बाद कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक करेंगे. नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी भी होंगे.
गृह मंत्रालय ने कहा- केंद्र ने वायनाड में राहत एवं बचाव के भरसक प्रयास किए
गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि केंद्र सरकार ने विनाशकारी भूस्खलन के बाद वायनाड में पूर्ण राहत एवं बचाव के प्रयास किए. लगातार और भारी बारिश के कारण 30 जुलाई को वायनाड जिले के मुंदक्की, चूरलमाला, वेल्लारीमाला गांव में बड़ा भूस्खलन हुआ. मंत्रालय ने कहा, 'मोदी सरकार ने स्थिति का जायजा लिया और घटनास्थल पर बचाव और राहत अभियान के लिए एनडीआरएफ, सेना, वायु सेना, नौसेना, अग्निशमन सेवाओं, नागरिक सुरक्षा आदि के 1200 से अधिक बचावकर्मियों को तैनात करके तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी.'
मंत्रालय ने कहा कि चिकित्सा सहायता और उपचार के लिए डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों के साथ 100 से अधिक एम्बुलेंस तैनात की गई. मंत्रालय ने कहा, 'भारतीय सेना ने वायनाड में 190 फुट लंबा बेली ब्रिज बनाया है, जो भारी मशीनरी और एम्बुलेंस की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण रहा. इस पुल का निर्माण केवल 71 घंटों में पूरा किया गया. इससे लगभग 200 लोगों को बचाने के कार्यों में काफी मदद मिली.
मंत्रालय ने कहा, 'अब तक कुल 30 लोगों को बचाया गया है. 520 लोगों को निकाला गया है और एनडीआरएफ बचाव टीमों द्वारा 112 शव निकाले गए हैं. मंत्रालय ने कहा कि राज्य के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) का गठन किया गया है.
केंद्र ने हमेशा ही आपदा की चुनौती से निपटने के लिए समय पर धन मुहैया कराकर केरल की मदद की है. इस साल 1 अप्रैल को केरल के एसडीआरएफ खाते में करीब 395 करोड़ रुपये थे. चालू वर्ष के लिए एसडीआरएफ में केंद्र के हिस्से की पहली किस्त 145.60 करोड़ रुपये से अधिक 31 जुलाई को अग्रिम रूप से जारी कर दी गई थी. पिछले 5 वर्षों में मोदी सरकार ने कुल 1780 करोड़ रुपये के राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में से एसडीआरएफ में केंद्र के हिस्से के रूप में करीब 1200 करोड़ रुपये जारी किए हैं.