नई दिल्ली :इटली के अपुलीया में शुक्रवार को आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन (जी-7) शिखर सम्मेलन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की छवि को और मजबूत कर दिया है. पिछले दशक में, विशेष रूप से भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ की आवाज को बल देने के बाद पीएम मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा में विकासशील देशों की चिंताओं को उजागर करने के लिए एक बार फिर एक प्रमुख वैश्विक मंच को चुना.
जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'ग्लोबल साउथ के देश वैश्विक अनिश्चितताओं और तनावों का खामियाजा भुगत रहे हैं. भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व मंच पर रखना अपनी जिम्मेदारी समझा है.'
अपने कार्यकाल के दौरान भारत द्वारा खुद को अफ्रीका के सबसे अच्छे मित्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने के साथ, पीएम मोदी ने महाद्वीप के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया. उन्होंने जी-7 कार्यक्रम में एकत्रित विश्व नेताओं को आश्वासन दिया 'हमने इन प्रयासों में अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता दी है. हमें गर्व है कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाया. भारत सभी अफ्रीकी लोगों के आर्थिक और सामाजिक विकास, स्थिरता और सुरक्षा में सभी अफ्रीकी देशों को योगदान दे रहा है और ऐसा करना जारी रहेगा.'
जर्मन चांसलर ने किया समर्थन :शनिवार को पीएम मोदी के साथ अपनी मुलाकात के कुछ घंटों बाद जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने बोर्गो एग्नाज़िया में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उभरते देशों और ग्लोबल साउथ की आवाज़ को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री के प्रयासों का समर्थन किया. स्कोल्ज़ ने शुक्रवार को जी7 कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ एक एनिमेटेड चर्चा में शामिल अपनी तस्वीर के साथ एक्स पर पोस्ट किया 'जी-7 कोई एक्सक्लूसिव क्लब नहीं है. यही कारण है कि यहां अपुलीया में हमने वही जारी रखा जो हमने एल्माउ में शुरू किया था और ग्लोबल साउथ के कई प्रतिनिधियों से बात की. भविष्य में भी ऐसा ही जारी रहना चाहिए. क्योंकि हम एक साझेदारी चाहते हैं जिससे सभी को लाभ होता है.'