वाराणसी: कोरोना महामारी से बचाने के लिए बनाई गई वैक्सीन से हो रहे साइड इफेक्ट को लेकर एक याचिका सोमवार को वाराणसी कोर्ट में दाखिल की गई है. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/अपर सिविल जज (सीडी प्रथम) की अदालत में दाखिल इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
अदालत ने इस मामले के लिए गठित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) की कोर्ट रिक्त होने के चलते प्रकीर्ण वाद(मिसलेनियस केस) के रूप में दर्ज करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि 23 मई तय कर दी. माना जा रहा है की देश में यह अपने तरह का पहला मामला है जब कोरोना वैक्सीन को लेकर सीधे प्रधानमंत्री को आरोपी बनाया गया है.
बता दें कि युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व अधिवक्ता विकास सिंह ने अपने अधिवक्ता गोपाल कृष्ण के जरिए कोर्ट में मानव अधिकार अधिनियम 1993 के तहत आवेदन दिया है.
प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत सभी 28 विपक्षी ने आपस में मिलीभगत करते हुए बिना किसी परीक्षण के कोविशील्ड नामक दवा बनाकर लोगों को भय दिखाकर कोरोना वैक्सीन बताकर लोगों को जबरन लगवाए और उससे लाभ अर्जित किए.
साथ ही वैक्सीन बनाने वाली कंपनी द्वारा प्रधानमंत्री को उस लाभ में हिस्सेदार बनाते हुए उन्हें चंदा के रूप में कंपनी द्वारा अर्जित लाभांश दिया गया. याचिका में यह भी आरोप है कि विपक्षी द्वारा यह जानते हुए कि इस दवा का साइड इफेक्ट होगा, लोगों को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेला गया.
इस मामले की जानकारी होने पर युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष द्वारा याचिका कोर्ट में दाखिल की गई है. याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायहित और लोक हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी 28 विपक्षीगण को बतौर अभियुक्त तलब कर उन्हे दंडित किया जाए. साथ ही यह भी मांग की गई है कि इस मामले में जितने भी लोग इस दवा के साइड इफेक्ट से पीड़ित है सभी को क्षतिपूर्ति दिलाई जाए.