नई दिल्लीः दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय में गोद लिए हुए बच्चे के अधिकार के लिए पर्सनल लॉ मान्य नहीं होगा. मुस्लिम समुदाय का कोई भी व्यक्ति शरीयत अधिनियम के तहत बिना किसी घोषणा के भी बच्चा गोद ले सकता है और उस बच्चे को संपत्ति पर पूरा हक होगा. मंगलवार को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज प्रवीण सिंह ने बंटवारे के एक मुकदमे को खारिज करते हुए यह आदेश सुनाया.
कोर्ट ने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया सामान्य कानून से वैध होगा न कि मुस्लिम पर्सनल लॉ या शरीयत कानून के जरिए. गोद लिया जा चुका बच्चा माता-पिता का वैध बच्चा बन जाएगा. कोर्ट में इकबाल अहमद ने बंटवारे का मुकदमा दायर किया था. इकबाल के भाई जमीर अहमद की मौत हो चुकी थी. इकबाल के मुताबिक, जमीर अहमद ने जो बच्चा गोद लिया था वो शरीयत के मुताबिक नहीं है. ऐसे में जमीर अहमद का कोई बेटा नहीं है. इस कारण जमीर अहमद के गोद लिए बच्चे का संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं होना चाहिए.