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संसद में संभल पर 'संग्राम', BJP पर विपक्ष का वार! क्या सरकार अपोजिशन की मांगों के आगे नहीं झुकेगी?

मणिपुर हिंसा और संभल को लेकर भी विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं. शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ा. इस विषय पर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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संसद में संभल पर 'संग्राम' (ANI and ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 6 hours ago

Updated : 6 hours ago

नई दिल्ली: पिछले संसद सत्र कि तरह इस बार शीतकालीन सत्र की शुरुआत भी विपक्ष के हंगामे के साथ ही हुई. हालांकि प्रधानंत्री ने संसद की शुरुआत होते ही विपक्ष को जमकर घेरा. उन्होंने यहां तक कह दिया कि, विपक्ष के कुछ लोग संसद को कंट्रोल करना चाहते हैं. संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत होते ही संसद के दोनों ही सदन में संभल की घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला. जिसका नतीजा यह हुआ कि, पहले ही दिन सत्र विपक्ष के हंगामे की भेट चढ़ गया.

सूत्रों की माने तो सरकार विपक्ष की सभी मांगों को इतनी आसानी से नहीं मानने वाली है. स्पीकर लगातार विपक्ष के साथ बैठक भी करते रहे. हालांकि, मगंलवार को संविधान दिवस के कारण विपक्ष का रुख कुछ नरम पड़ सकता है. हालांकि, विपक्षी पार्टियां सम्भल ,मणिपुर और प्रदूषण जैसे मामलों पर सरकार से चर्चा कराने की मांग पर अड़ी हुई है.

संसद में संभल पर 'संग्राम', क्या बोले सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क (ETV Bharat)

संसद की शुरुआत होते ही संभावित हंगामा शुरू हो गया. कांग्रेस मणिपुर और संभल में हिंसा इसके साथ ही दिल्‍ली-एनसीआर में प्रदूषण जैसे मुद्दों पर चर्चा करने पर अड़ी हुई है. सत्र की शुरुआत होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विपक्ष को काफी खरी-खोटी सुनाई.

कुल मिलाकर देखा जाए तो विपक्ष के सभी मांगों पर केंद्र सरकार इतनी आसानी से राजी नहीं होगी. वहीं विपक्ष में बैठी समाजवादी पार्टी के सांसदों ने भी स्पीकर से मुलाकात कर संभल की हिंसा पर सख्त करवाई और स्थिति नियंत्रण में करने की मांग की. हालांकि, सरकार ने रविवार को विपक्षी पार्टियों से कहा था कि दोनों सदनों की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी चर्चा कर मुद्दों पर निर्णय लेगी. बावजूद विपक्ष का रवैया लगातार आक्रामक बना हुआ है.

हर सत्र की तरह इस बार भी संसद का शीतकालीन सत्र ऐसा लगता है कि, हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा. वह इसलिए क्योंकि सूत्रों की माने तो सरकार किसी भी तरह से संभल पर चर्चा कराने पर राजी नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष इस मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहती.

संसद के पहले दिन स्थगन के बाद लोकसभा में हंगामे पर लोकसभा स्पीकर ने विपक्ष के नेताओं को दो टूक कहा कि, संसद में बैनर पोस्टर्स की जगह नहीं है. लोकसभा स्पीकर के साथ हुई बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में विपक्षी पार्टियों के फ्लोर लीडर्स मौजूद थे. बैठक में लोकसभा स्पीकर ने विपक्ष के सांसदों से कहा कि जब देश का संविधान बन रहा था तो उसमें तर्क-वितर्क हुए थे. कुछ पाजिटीव कुछ निगेटीव भी थे.. पर सार्थक बहस हुई थी.

उसी तरह संसद में भी किसी मुद्दे, बिल या टॉपिक पर चर्चा के दौरान नियमों के तहत तर्क-वितर्क होना चाहिए. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तर्क वितर्क करें, पर सकारात्मक बहस होनी चाहिए. संसद में बैनर पोस्टर की जगह नहीं.

जाहिर तौर पर सरकार ने स्पीकर के माध्यम से विपक्ष को ये संदेश दिलवा दिया हैं कि, चाहे विपक्ष कितना भी हंगामा कर ले, सरकार विपक्ष की सभी मांगों के आगे नहीं झुकेगी. एक तरफ सरकार का रुख और दूसरी तरफ विपक्ष की संभल और मणिपुर जैसे मुद्दों पर मजबूरी , बहरहाल ,मामला चाहे कुछ भी हो सरकार अपने विधाई कार्यों को पूरा करेगी. चाहे वो विपक्ष के बगैर या वॉकआउट के बाद ही क्यों ना हो.

इस मुद्दे पर संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क का कहना है कि, मासूमों के खिलाफ करवाई की जा रही है. संभल से सांसद ने लोकसभा स्पीकर से मुलाकात कर ये मांग की कि उनके खिलाफ जो झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है उसको खारिज किया जाए. उन्होंने कहा क, जो पुलिस वाले घटना के लिए जिम्मेवार हैं उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. उन्होंने कहा कि, घटना के दिन वे उत्तर प्रदेश और संभल में मौजूद भी नहीं थे, फिर भी उनके खिलाफ एफआईआर कैसे दर्ज किया गया. उन्होंने इसे साजिश करार दिया.

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