सागर:महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और उनकी रचनाएं आज भी कई मायनों में प्रासंगिक हैं. मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को है. महज 56 साल की उम्र में देश और दुनिया को महान रचनाओं का पिटारा सौंप गए महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से गहरा नाता था. दरअसल, उनकी बेटी कमला देवी का सागर जिले की देवरी के संपन्न मालगुजार परिवार में रिश्ता हुआ था. मुंशी प्रेमचंद अपनी बेटी कमला के काफी करीब थे और सागर के आसपास की आवोहवा उन्हें खूब भाती थी. अक्सर बेटी को लिखी चिट्ठी में वो यहां की जलवायु की चर्चा करते थे और यहां आने की जानकारी देते थे.
मुंशी प्रेमचंद जब देवरी या सागर आते थे, तो महीनों रुकते थे. यहां की संस्कृति और जनजीवन को उन्होंने गहराई से समझा. कहा जाता है कि अपनी महान रचना "पूस की रात" का सृजन मुंशी प्रेमचंद ने देवरी में रहते हुए किया था. इसके अलावा उन्होंने बुंदेलखंड को इतनी संवेदनशीलता से समझा था कि बुंदेलखंड के लोक देव हरदौल और ओरछा की रानी सिंराधा पर भी कहानी लिखी थी. सागर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कहानीकार डॉ. आशुतोष ने प्रेमचंद के साहित्य लेखन और जीवन पर काफी शोध किया है. बुंदेलखंड से मुंशी प्रेमचंद के रिश्ते को लेकर उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष चर्चा की.
बुंंदेलखंड से जीवन और सृजन का नाता
सागर यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के असि. प्रोफेसर और कहानीकार डाॅ आशुतोष बतातेहैं कि 'बुंदेलखंड और विशेषकर सागर से प्रेमचंद का दो तरह का रिश्ता जीवन और सृजन का है. प्रेमचंद का पहला रिश्ता जीवन से बना और उसके बाद उनका परिचय पूरे बुंदेलखंड और यहां के सुख-दुख से हुआ. उनकी बेटी का नाम कमला था. जैसा हर पिता चाहता है कि बेटी का रिश्ता आसपास किया जाए. प्रेमचंद का लमही बनारस से नाता था. उन्होंने वहां आसपास लखनऊ और कानपुर में बेटी की शादी की बात चलाई, लेकिन कहीं बात नहीं बनी.
आखिरकार 1928 में सागर में देवरी के संपन्न मालगुजार परिवार में उनकी बेटी कमला की शादी तय हुई. 1928 में कमला का विवाह हुआ. उनके दामाद का नाम वासुदेव प्रसाद था. वो बडे़ संपन्न लोग थे, देवरी में उनकी जमीन थी. 1932 में आकर सिविल लाइन में बस गए. उनके दामाद वरिष्ठ वकील थे और उनका बड़ा नाम था.'
यहां की जलवायु के थे मुरीद
बेटी का रिश्ता होने के बाद प्रेमचंद लगातार सागर आते थे. यह भी बताया जाता है कि उनकी बेटी कमला की जब पहली संतान हुई, तो प्रेमचंद काफी लंबे समय सागर में करीब 4 से 5 महीने तक रहे. उनकी बेटी से हुए पत्राचार से भी पता चलता था कि उन्हें सागर काफी पसंद था. कई चिट्ठियां उन्होंने अपनी बेटी को कानपुर और बनारस से लिखी. जिनमें वो अक्सर लिखते थे कि जलवायु परिवर्तन के लिए मैं सागर आना चाहता हूं. फलां तारीख को आऊंगा, वहां की आवोहवा मेरे स्वास्थ्य के लिए काफी मुफीद है.
प्रेमचंद की बेटी कमला की पहली संतान बेटा प्रबोध कुमार का जन्म 1935 में हुआ. उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी में मानव विज्ञान में पीजी डिग्री की और यहां पढ़ाया भी है. वो आस्ट्रेलिया और जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे और लौटने के बाद कोलकाता में रहे. प्रबोध कुमार अपने समय के बेहतरीन कहानीकार थे. शीशा जैसा कहानी संग्रह और निरीह की दुनिया जैसी कहानियां उस समय कल्पना और आलोचना में प्रकाशित हुई.