अररिया : वो कहती हैं कि अब सुखसेना से कोई रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता है. यहां की बेटियों की शादी दूसरे गांव हो जाती है तो वो अपने गांव घर आना नहीं चाहती है. गांव से रिश्तेदारी (शादी) करने से लोग कतराने लगे है. किसी के घर कोई मेहमान भी आना नहीं चाहता हैं.
32 वर्षीय कमला देवी कुछ इस तरह से अपने गांव सुखसेना की दर्दभरी कहानी बयां करती हैं. वो अकेली महिला या पुरुष इस गांव में नहीं हैं, जिन्हें यहां की हवा और पानी दिन ब दिन तिल-तिल कर मौत के आगोश में धकेल रही हैं.
गुलमा देवी (53 वर्ष) बताती हैं कि ''दुर्गंध को रोकने के लिए लोग अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखते हैं, ताकि घर से अंदर हवा आने पाएं. ऐसे में अब तो गांव के युवक-युवती की शादी करना भी मुश्किल हो गया है. कोई भी रिश्तेदार इस गांव रिश्ता जोड़ना नहीं चाहता हैं और न ही मेहमान गांव आना चाहता है. इस वजह से अब धीरे -धीरे रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगी है.''
ये कुछ गिनती के लोग नहीं, बल्कि सुखसेना गांव का हर शख्स आज सांसे कम दिन ज्यादा गिन रहा हैं. बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज अनुमंडल अंतर्गत ये गांव आता है, जो हलहलिया पंचायत के संतनगर सुखसेना वार्ड नंबर 14 में स्थित है.
सुखसेना में दुर्गंध फैला रही हैं मीट फैक्ट्रियां :सुखसेना गांव में करीब 40 से अधिक घरों वाली आबादी है. यहां बूचड़खाने (मांस फैक्ट्री) से निकलने वाली दुर्गंध और प्रदूषण ने गांव के लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी हैं. चिमनियों से निकलने लाला धुआं वातावरण में जहर घोल रहा है. इससे लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही हैं.
अररिया जिला से 30 किलोमीटर दूर जब ईटीवी भारत की टीम सुखसेना गांव पहुंची तो साफ दिख रहा था यहां हर एक चेहरा परेशान है. ग्रामीण शंभु मेहता (47 वर्ष) बताते हैं कि ''फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध के कारण यहां रहना काफी मुश्किल होता जा रहा है. पानी दूषित हो चुका है. पानी का स्वाद अजीब सा लगता है. कई बार बूचड़खाने को लेकर आवाज उठाई गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ. जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई.''
'जैसे तैसे लोग रात काट लेते हैं' :शंभु की बात सुनकर उनके पास में खड़े संजय ऋषिदेव (43 वर्ष) से रहा नहीं जाता. शंभु को बीच में टोककर कहते हैं कि ''मत पूछिए साहब जैसे तैसे लोग रात काट लेते हैं. फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध के कारण खाना भी नहीं खाया जाता है. पानी दूषित हो गया है. दूषित पानी पीने से कभी कभार लोग बीमार भी हो जाते है.''
दुर्गंध, जहरीला पानी.. सांस लेना मुश्किल: सुखसेना गांव के ही विनोद मेहता (52 वर्ष) बताते हैं कि ''इस संबंध में प्रशासन को कई बार बताया गया, लेकिन आज तक जांच नहीं की गई. अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं निकाला गया तो फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध और जहरीला पानी हमारी जान ले लेगा.''