रांची/नई दिल्ली: संथाल में डेमोग्राफी का मुद्दा गुरुवार को संसद में भी गूंजा. निशिकांत दुबे ने संसद में अपनी बात रखते हुए कहा कि 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हुआ था तब संथाल में आदिवासियों की आबादी 36 प्रतिशत थी जो अब घटकर सिर्फ 26 प्रतिशत रह गई है. इस मुद्दे पर झारखंड की मौजूदा सरकार बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है.
उन्होने अपने भाषण में कहा की घुसपैठिए आदिवासी औरतों से शादी करते हैं। उनका कहना है की महिलाएं जो आदिवासी कोटे से लोकसभा चुनाव लड़ती हैं उनके पति मुसलमान है. जिला परिषद की अध्यक्षा के पति मुसलमान है. सौ आदिवासी महिला मुखिया एसी हैं जिनके पति मुसलमान है.
उन्होंने कहा कि हर चुनाव में 15 से 17 प्रतिशत वोटर आमतौर पर बढ़ते हैं, लेकिन हमारे यहां 123 प्रतिशत वोटर बढ़ें हैं. उन्होंने कहा कि मधुपुर विधानसभा में 267 बूथों पर 117 प्रतिशत से अधिक मुसलमानों की आबादी बढ़ गई है. झारखंड में कम से कम 25 विधानसभा क्षेत्रों में जहां 110 प्रतिशत से 123 प्रतिशत तक मुसलमानों की आबादी बढ़ी है यह चिंता का विषय है.
संसद में अपनी बात को रखते हुए सांसद निशिकांत दुबे ने तारापुर इलामी और डांगापाडा का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद से लोग आते हैं और स्थानीय लोगों को भगा देते हैं. गांव के गांव खाली हो रहे है और वहां के लोग इन जगहों पर आकर दंगा करते हैं.
उन्होने इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्र सरकार से मालदा, मुर्शिदाबाद, किशनगंज अररिया, कटिहार और पूरे संथाल को यूनियन टेरिटरी बनाने और साथ ही एनआरसी लागू करने की गुहार लगाई. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने भी माना है कि यहां मुसलमानों की आबादी बहुत बढ़ गई है और उसमें केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होने कहा की इसके लिए संसद की एक कमेटी को वहां जाकर जांच करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2010 की लॉ कमीशन की रिपोर्ट को लागू करें.
वहीं जब निशिकांत दुबे की इस मांग पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल पूछा गया तो इस मु्दे को टालने की कोशिश की और कहा की उन्हें अपने सदन देखने की सलाह दी है. उधर, डेमोग्राफी के मुद्दे पर स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो चुप्पी तोड़ते हुए राज्य सरकार के बचाव में उतरते हुए सरकार की बचाव में उतरते हुपए दिखाई दिये. स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विधानसभा में इस मुद्दे को चुनाव से जोड दिया। उन्होंने कहा कि लोग चुनाव जीतने के लिए ऐसे मामलों पर बोलते हैं।