रांची: झारखंड सरकार अपने अबुआ बजट को फाइनल रूप देने में लगी है. इसको लेकर रविवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर की अध्यक्षता में अबुआ बजट पर परिचर्चा की. इसमें आला कांग्रेस के नेता शामिल हुए.
इस परिचर्चा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, विधायक दल के नेता प्रदीप यादव, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, विधायक ममता देवी, भूषण तिर्की, अनूप सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व सांसद फुरकान अंसारी, प्रदीप बलमुचू, विधायक दल के उपनेता राजेश कच्छप, पूर्व विधायक अंबा प्रसाद सहित कई नेताओं ने शिरकत की. अबुआ बजट पर कांग्रेस की इस बैठक में नेताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए.
'सार्थक रही बैठक, जनहित में कई सुझाव मिले'
अबुआ बजट पर राज्य के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ परिचर्चा के बाद प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने मीडिया से जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि एक महीने के अंदर झारखंड का बजट आना है, उसको कैसे जन उपयोगी बनाया जाए इस पर अपने आला नेताओं से बात की है. जो हमारे चुनावी वादे थे, इसके अलावा भी जो विभागीय अलग-अलग मामले होते हैं, उन सभी विषयों पर चर्चा हुई है.
गुलाम अहमद मीर ने कहा कि आज की परिचर्चा में जो भी विचार आये हैं उन सभी को मुख्यमंत्री के पास रखा जाएगा और फिर उसपर सरकार फैसला लेगी. इस बार के बजट में हम किन-किन चीजों को लेकर आगे बढ़ सकते हैं और आने वाले दिनों में किन-किन बातों को हम अपनी प्राथमिकता में रखेंगे, इसको लेकर भी आज चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि कुछ अच्छे सुझाव आए हैं, हमारे टॉप लीडर्स ने अच्छे-अच्छे सुझाव दिए हैं.
अबुआ बजट पर हुई परिचर्चा में 450₹ में गैस सिलेंडर वाले चुनावी वायदे पर चर्चा हुई. इस बजट में गैस सिलेंडर के लिए वित्तीय प्रावधान रहेगा? इस सवाल के जवाब में गुलाम अहमद मीर ने कहा कि हमने सभी विषयों पर चर्चा की है, हमने अपनी गारंटी पर भी चर्चा की है और कुछ प्राथमिकताएं तय की हैं. इसे लेकर सरकार के पास जाएंगे और मंत्रिमंडल उस पर फैसला करेगा.
'64 पन्नों के केंद्रीय बजट में एक बार भी गलती से भी झारखंड का नाम नहीं'
गुलाम अहमद मीर ने कहा कि आपने देखा है कि भारत सरकार ने लगातार झारखंड की अपेक्षा की है. शनिवार को पेश किए गये केंद्रीय बजट में 64 पन्नों के भाषण में गलती से भी कहीं झारखंड स्टेट का नाम नहीं था और यही मैंने पिछले 11 साल में देखा है. झारखंड का बकाया 136000 करोड़ से बढ़कर 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपया हो गया है, इसका जिक्र केंद्रीय बजट में नहीं है. केंद्र की स्कीम की राशि भी राज्य को नहीं दी जा रही है. राज्य की सरकार को अपने संसाधनों से जनकल्याणकारी कार्यों को चलाना पड़ रहा है.
इसे भी पढ़ें- झारखंड बजट तैयारी में जुटी हेमंत सरकार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अलावा कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई पर फोकस
इसे भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा का बजट सत्र होगा खास, सत्ता पक्ष-विपक्ष ने बनाई खास रणनीति
इसे भी पढ़ें- ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर केंद्रित होगा आगामी बजटः वित्त मंत्री