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पिछले 7 साल के अंदर बिहार में उद्योग लगाने के प्रस्तावों का अंबार लेकिन निवेश में आए 4712 करोड़ रुपए - Migration Issue From Bihar

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 2, 2024, 7:17 PM IST

Migration Issue From Bihar : बिहार की नीतीश सरकार बिहार में उद्योंगों को समृद्ध करने के लिए नई उद्योग नीति लेकर आई लेकिन उसका असर न के बराबर दिख रहा है. जितने करोड़ का प्रस्ताव आया उसका 13 गुना कम जमीन पर उद्योग स्थापित हुए. रोजगार के अवसर भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. ऐसे में सवाल यही है कि आखिर बिहार में पलायन रुकेगा कैसे जब उद्योगों का विस्तार ही नहीं होगा? पढ़ें पूरी खबर-

बिहार में कैसे रुकेगा पलायन
बिहार में कैसे रुकेगा पलायन (Etv Bharat)

उद्योग लगाने के प्रस्ताव की भरमार फिर भी पलायन (ETV Bharat)

पटना : नीतीश सरकार ने 2016 में नई बिहार उद्योग नीति लागू की. इस नीति को लागू किए 8 साल होने को हैं. पिछले सात सालों की बात करें तो 67614.94 के निवेश के प्रस्ताव उद्योग विभाग को मिले हैं. इसमें से लोकसभा चुनाव से पहले तक 4712.27 करोड़ का निवेश हुआ है. कुल 2695 इकाई लगाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन 524 इकाई अब तक लग पायी है. औद्योगिक इकाइयों में उद्योग विभाग के आंकड़ों के अनुसार ही 14885 श्रमिकों को रोजगार मिला है.

बिहार में कैसे रुकेगा पलायन? : बिहार में जो बेरोजगारी है उसके हिसाब से यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. बिहार में औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के बाद निवेश के प्रस्ताव जरूर आए हैं, लेकिन निवेश करने वाले उद्योगपतियों की संख्या अभी भी काफी कम है. विशेषज्ञ कहते हैं कि बिहार में बेरोजगारी तो बहुत है लेकिन स्किल लेबर का अभाव है. उसके अलावा जो उद्योग के लिए वातावरण चाहिए उसमें अभी भी काफी कमी है. औद्योगिक क्षेत्र के लोगों का कहना है कि दो-तीन सालों में स्थिति बेहतर हो सकती है, तब पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

औद्योगिक प्रोत्साहन नीति बेअसर? : बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है. हालांकि नीतीश कुमार के आने के बाद बिहार का ग्रोथ रेट डेढ़ दशक से डबल डिजिट में बना हुआ है. उस हिसाब से बिहार में निवेश नहीं हुआ है जबकि बिजली, सड़क और कानून व्यवस्था के क्षेत्र में काफी सुधार हुए हैं. बिहार सरकार की ओर से निवेशकों को प्रोत्साहन के लिए औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 लाया गया, जिसमें कई तरह की सुविधा और अनुदान भी दी जा रही है.

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बिहार में 4700 करोड़ का निवेश : जब से बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति लागू हुआ है, बिहार सरकार की ओर से, 886.62 करोड़ का अनुदान उद्योगपतियों को दिया गया है. पिछले 7 सालों में 67614 करोड़ से अधिक के प्रस्ताव भी आए हैं. इसमें से 4700 करोड़ के करीब निवेश भी हुआ है. ऐसे प्रस्ताव के अनुरूप निवेश काफी कम है और नई औद्योगिक इकाइयों में 15000 के करीब श्रमिकों को रोजगार मिला है. बिहार में बढ़ती बेरोजगारी को देखें रोजगार के लिए लाखों लोग दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं, तो उस हिसाब से यह छोटा आंकड़ा है. औद्योगिक क्षेत्र के जानकार कह रहे हैं कि धीरे धीरे अब माहौल बन रहा है.

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67614 करोड़ का औद्योगिक प्रस्ताव: उद्योग विभाग के आंकड़ों के अनुसार नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के तहत बिहार में 2016 के बाद 2695 औद्योगिक इकाइयों का प्रस्ताव मिला है. जिसमें से 524 औद्योगिक इकाई बिहार में लगे हैं. 67614.94 करोड़ के निवेश प्रस्ताव में से 4712.27 करोड़ के प्रस्ताव बिहार में आए हैं. इन औद्योगिक इकाइयों के माध्यम से जिसमें सिर्फ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में निवेश कुछ इस प्रकार से है-

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

क्या कहते हैं व्यवसायी : बिहार चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के पूर्व उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने बातचीत में कहा कि बिहार में बड़े उद्योग तो नहीं लेकिन छोटे-छोटे उद्योग अब आ रहे हैं. एक माहौल बन रहा है. आने वाले दो-तीन सालों में स्थितियां बेहतर हो सकती है और स्वाभिक है. जब छोटे उद्योग भी आ रहे हैं तो लोगों को रोजगार जरूर मिलेगा. बड़े पोस्ट पर जरूर बाहर से लोग लाये जाएं, लेकिन निचले स्तर पर स्थानीय लोगों को ही प्रमुखता दी जा रही है. मुकेश जैन का कहना है कि अभी पलायन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन बड़े पैमाने पर छोटे उद्योग भी बिहार में आ गए तो पलायन भी काफी हद तक रुकेगा.

क्या कहते हैं जानकार : ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास के अनुसार बिहार में बेरोजगारी तो बहुत है लेकिन अनस्किल्ड लेबर होने के कारण उन्हें बेहतर रोजगार नहीं मिल पाता है. जो उद्योग आ रहे हैं उसमें प्रशिक्षित लोगों को ही डिमांड हो रही है टेक्सटाइल, आईटी, चर्म, खाद्य संस्करण सहित कई क्षेत्रों में अभी तो बिहार के प्रशिक्षित लोगों की जरूरत को पूरा किया जा रहा है.

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''यदि संख्या बढ़ेगी तो बड़े पैमाने पर ट्रेड करने की जरूरत होगी है. सरकार को इस पर और अधिक फोकस करने की जरूरत है. साथ ही उद्योग के लिए बेहतर माहौल हो, कानून बस व्यवस्था और बेहतर बने, इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग के हिसाब से तैयार हो इस पर भी काम और अधिक तेजी से करने की जरूरत है.''- डॉ विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर ए एन सिंह इंस्टिट्यूट

पलायन पर डिप्टी सीएम का दावा : बिहार से हो रहे पलायन को लेकर उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा का कहना है कि ''डबल इंजन की सरकार में बिहार में स्थितियां तेजी से बदल रही हैं. बीच-बीच में महा गठबंधन के लोग आ जाते हैं उसके कारण स्थितियां गड़बड़ा जाती है. विकास ठहर जाता है. चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि भारत तब तक विकसित नहीं होगा जब तक बिहार विकसित नहीं होगा. तो सभी मिलकर बिहार को आगे ले जाने में लगे हैं और उसके अच्छे परिणाम जल्द ही आएंगे.''

विजय सिन्हा, डिप्टी सीएम, बिहार (ETV Bharat)

बिहार में इन्वेस्टर्स समिट : लगातार इन्वेस्टर्स मीट भी हो रहे हैं अभी हाल ही में कोलकाता में इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया था. उद्योग विभाग के नए मंत्री नीतीश मिश्रा लगातार केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात कर रहे हैं और उद्योगपतियों से भी मिल रहे हैं. बिहार में पटना में दिसंबर में बड़ा इन्वेस्टर्स मीट भी होगा और उससे पहले कई अभियान भी चलाये जाने हैं. बिहार में कई क्लस्टर विकसित किया जा रहे हैं, जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. कई छोटे उद्योग चर्चा में भी हैं.

बिहटा में स्थापित ब्रिटानिया बिस्कुट फैक्ट्री (ETV Bharat)

लगने लगे उद्योग: बिहटा में ब्रिटानिया बिस्कुट की फैक्ट्री लगी है, मुजफ्फरपुर में इथेनॉल से लेकर टेक्सटाइल और लेदर की फैक्ट्री लगी है. पिछले दिसंबर महीने में पटना में हुए बिजनेस मीट में अदानी ग्रुप की तरफ से बिहार में सीमेंट और लॉजिस्टिक क्षेत्र में 8700 करोड़ के निवेश की बात कही गई थी. तो बड़े औद्योगिक घरानों की भी नजर बिहार पर है. बिहार सरकार की ओर से नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के तहत 9 संकुल का निर्माण किया है. जिसमें 75 औद्योगिक क्षेत्र, औद्योगिक प्रांगण, विकास केंद्र और महा औद्योगिक पार्क तैयार किया गया है.

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विशेष राज्य का दर्जा मिलने मिलेगी रियायत: जो 9 संकुल बनाए गए हैं उसमें बेगूसराय, भागलपुर सहरसा पूर्णिया, गया, पटना, दरभंगा , हाजीपुर , मुजफ्फरपुर, बिहटा और मोतीपुर शामिल है. यहां सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया गया है. उद्योग लगाने वाले उद्योगपतियों को मुहैया कराया जा रहा है। ऐसे भी लिए बिहार चैंबर ऑफ़ कॉमर्स और उद्योगपतियों के तरफ से लगातार बिहार में स्थिति बेहतर होने की बात कही जा रही है. बिहार सरकार की ओर से भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी को ध्यान में रखकर की जा रही है. यदि विशेष राज्य का दर्जा मिल गया तो उद्योगपतियों को कई तरह की रियायतें मिलेगी.

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