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जम्मू-कश्मीर: मंत्री सकीना इटू ने कहा, नीट पीजी प्रवेश मुद्दे की समीक्षा की जा रही है - JK MINISTER SAKINA ITOO

जम्मू-कश्मीर की स्वास्थ्य- चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इटू ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि नीट पीजी प्रवेश मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा.

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स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इटू (ETV Bharat Urdu Desk)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 10, 2024, 1:46 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 3:03 PM IST

श्रीनगर:स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इटू ने सोमवार को सरकारी कॉलेजों में ओपन मेरिट के आधार पर स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल सीटों को लेकर चिंताओं को संबोधित करते हुए इसे 'संवेदनशील मुद्दा' बताया. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले पर गहनता से विचार करेगी और निष्पक्ष निर्णय लेगी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में इटू ने उन निजी स्कूलों की भी आलोचना की जो जम्मू-कश्मीर बोर्ड या एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के बजाय छात्रों पर कैम्ब्रिज पाठ्यक्रम थोप रहे हैं. उन्होंने इसे अभिभावकों पर अनुचित वित्तीय बोझ बताया. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

नीट पीजी प्रवेश में ओपन मेरिट सीटों की कटौती को लेकर श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के मेडिकल छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए इटू ने कहा कि छात्रों की आपत्तियों और चिंताओं की समीक्षा की जाएगी. जम्मू-कश्मीर आरक्षण नियमों के नियम 17 के तहत लाभ पाने वाले हितधारकों के साथ चर्चा की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के अधिकारों का उल्लंघन न हो.

छात्रों ने हाल ही में नीतिगत बदलावों पर असंतोष व्यक्त किया. इसमें एसओ 176 और एसओ 305 का कार्यान्वयन शामिल है. इसने ओपन मेरिट सीटों को काफी कम कर दिया. 2018 के एसआरओ 49 के तहत ओपन मेरिट में पीजी सीटों का 75 फीसदी हिस्सा था, लेकिन नए नियमों के तहत यह घटकर लगभग 27-30फीसदी रह गया है. छात्रों ने तर्क दिया कि यह अनुचित है कि 90,000 से कम रैंक वाले उम्मीदवार अब प्रवेश सुरक्षित कर सकते हैं, जबकि 739 के आसपास रैंक वाले उम्मीदवारों को मना किया जा रहा है.

निजी स्कूलों के बारे में इटू ने कहा कि कैम्ब्रिज पाठ्यक्रम को मनमाने ढंग से छात्रों पर थोपने वाले संस्थानों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, 'कोई भी निजी स्कूल अपनी मर्जी नहीं थोप सकता या छात्रों और अभिभावकों पर अनुचित दबाव नहीं डाल सकता.' इस संबंध में नियम स्थापित किए गए हैं और कोई भी स्कूल या उसके प्रशासक कानून से ऊपर नहीं हैं.'

गंदेरबल के आरपी स्कूल नागबल के अभिभावकों ने स्कूल द्वारा कक्षा एक से 10 तक के छात्रों के लिए कैम्ब्रिज पाठ्यक्रम अनिवार्य करने की शिकायत की है. इसके बारे में उनका तर्क है कि इससे बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ता है और परिवारों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है. अभिभावकों ने स्कूल की फीस में संभावित बढ़ोतरी के बारे में भी चिंता जताई है, जिसे कई लोग वहन नहीं कर पाएंगे.

इटू ने आश्वासन दिया कि निजी स्कूलों में किताबों की ऊंची कीमतों और खुले बाजार में उन किताबों की अनुपलब्धता से संबंधित शिकायतों को भी प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने अभिभावकों को निजी स्कूलों से जुड़ी किसी भी समस्या के बारे में सोशल मीडिया पर शिकायत करने के बजाय सीधे उनके कार्यालय में रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया और इसके जवाब में सख्त कार्रवाई का वादा किया.

कल्याणकारी पहलों पर चर्चा करते हुए इटू ने समाज कल्याण विभाग द्वारा हाल ही में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि विधवाओं, बुजुर्गों और विकलांग व्यक्तियों के लिए मासिक सहायता अक्टूबर तक मंजूर कर दी गई. इसके अतिरिक्त, गरीब, अनाथ और गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों के लिए विवाह सहायता अनुदान को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जा रहा है, जिसे वित्त विभाग से मंजूरी मिलनी बाकी है.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 3:03 PM IST

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