जमुई:बिहार के जमुई के एक स्कूल को नक्सलियों ने साल 2009 में डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया था. लोग यहां घरों से बाहर निकलने से भी कांपते थे. हर वक्त किसी अनहोनी का डर सताता था. लाल आतंक के दहशत से सभी परेशान थे, लेकिन आज इस घोर नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर बदल चुकी है. अब बच्चे इसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे: वरहट थाना क्षेत्र के अति नक्सल प्रभावित इलाका चोरमारा के सरकारी विद्यालय में बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई करने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन आज से कुछ साल पहले यहां की हालत ऐसी नहीं थी. साल 2009 में इस स्कूल के भवन को दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने विस्फोट कर उड़ा दिया था.
"पहले जंगल के बीच आने पर मुझे ही डर लग रहा था. फिर गांव आकर मेरा डर खत्म हो गया. स्कूल भवन नहीं है. पांच क्लास तक बच्चे यहां पढ़ते हैं. इसे उत्क्रमित बना दिया जाएगा तो बच्चों को परेशानी नहीं होगी."- स्वीटी कुमारी, शिक्षिका
बदल चुकी है तस्वीर:नक्सली ने इस स्कूल को पूरी तरह से तबाह कर दिया था. मलबे के सिवाय यहां कुछ नहीं बचा था. ऐसे में सुरक्षा बलों और पुलिस ने मोर्चा संभाला और लगातार इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. जिसके बाद 2022 में बालेश्वर कोड़ा ने आत्मसमर्पण कर दिया.
सुरक्षाबल रहते हैं तत्पर: अब विकास की किरणें यहां पहुंचने लगी है. पक्की सड़कें, पुल पुलिया, सरकारी स्कूल, सामुदायिक भवन आदि बनने लगे हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से कई जगह सीआरपीएफ कैंप स्थापित किये गए हैं. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि अगर विद्यालय भवन बन जाए तो बच्चों को काफी सहूलियत होगी.
"मैं 2007 से यहां पढ़ा रहा हूं. पहले दहशत का माहौल था, लेकिन अब हालात बदले हैं. हमारे आने के बाद पढ़ाई शुरू हुई. हमने कभी भी बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा. कैंप के कारण लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. अभिभावक भी जागरूक हैं. स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. स्कूल भवन के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है."- मुकेश कुमार, शिक्षक
मुंगेर एसपी हमले में हुए थे शहीद:बता दें कि मुंगेर के एसपी केसी सुरेंद्र बाबू पर जमुई के इसी इलाके में नक्सलियों ने हमला किया था. जिसमें वे शहीद हो गए थे. वहीं अब लोग यहां चैन की सांस ले रहे हैं. जंगलों में जहां नक्सलियों के बड़े छोटे नेताओं का बसेरा रहता था, आज वहां सुरक्षाबलों के ट्रेनिंग कैंप हैं. इसके कारण लोगों में भी हिम्मत आई है.
गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ाया गया था: जानकारी के अनुसार 2005 में जब मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी चंद्र बाबू भीमबांध पहुंचे थे, तब वाहन को नक्सलियों ने रास्ते में विस्फोट कर उड़ा दिया था. मुठभेड़ में कई जवान घायल हो गए थे. सुरक्षाबल जब अभियान ऑपरेशन के दौरान किसी सरकारी विद्यालय में पड़ाव करते थे तो नक्सली उस विद्यालय को भी बारूद से उड़ा देते थे.
2009 में स्कूल को नक्सलियों ने उड़ाया: उसी विद्यालय में एक था प्राथमिक विद्यालय 'चोरमारा', जिसे नक्सलियों ने 2009 में बारूद से उड़ा दिया था. बाद में भीमबांध, चोरमारा आदि गांवों के पास सुरक्षाबलों के स्थाई कैंम्प बनाये गए और सुरक्षाबलों द्वारा लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन अभियान चलाया गया. इसके कारण नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे. इलाके के कई कुख्यात नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. कई मुठभेड़ में मारे गए.