रांचीः हथियार के बल पर और हिंसा के रास्ते पर चलकर समाज में एकरूपता लाने का दावा करने वाले और अपने आपको गरीबों का रखवाला कहने वाले नक्सली संगठन अब सिर्फ और सिर्फ पैसे के वसूली के लिए काम कर रहे हैं. वसूली के पैसे से बड़े नक्सली कमांडर अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बना रहे हैं. अपने परिवार को ऐशो आराम की जिंदगी की दे रहे हैं. दूसरी तरफ संगठन के छोटे कैडर हथियार ढोते हुए पुलिस की गोलियां खा रहे है.
एनआईए की जांच में हुआ आधिकारिक खुलासा
झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी हो या उग्रवादी संगठन पीएलएफआई, जेजेएमपी और टीपीसी. इन सभी संगठनों के बड़े नक्सली कामंडर और सुप्रीमो के ऐशो आराम की लाइफ जीते हैं. इनके बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं, कोई डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा तो कोई इंजीनियरिंग की. यह बातें अक्सर सामने आती रहती थी लेकिन पहली बार ऐसे मामले के एनआईए ने कोर्ट में दिए अपने चार्जशीट में किया है. पूरा मामला भाकपा माओवादियों के मगध जोन के पुनर्गठन से जुड़ा हुआ है. संगठन के पुनर्गठन के लिए झारखंड-बिहार के ठेकेदारों से नक्सलियों ने लेवी (रंगदारी) के रूप में करोड़ों रुपए की वसूली की थी. एनआईए की जांच में यह बात सामने आई है कि वसूली गई लेवी की राशि का माओवादी के रिश्तेदारों के मेडिकल में नामांकन और पढ़ाई में किया गया था.
एनआईए ने जब्त किए एक करोड़ तेरह लाख रुपये
मगध जोन से जुड़े मामले को लेकर एनआईए की रांची यूनिट में आरसी-05/2021 केस दर्ज किया था. इस केस में कार्रवाई करते हुए एनआईए ने 1,13,70,500 (एक करोड़, तेरह लाख, सत्तर हजार, पांच सौ रुपये) जब्त कर लिया है. बता दें कि एनआईए ने 30 दिसंबर 2021 को स्वत: संज्ञान लेते हुए यह मामला दर्ज किया था. एनआईए जांच से पता चला है कि उक्त राशि एक बड़े माओवादी नेता के रिश्तेदार की मेडिकल शिक्षा के लिए सीधे तमिलनाडु के चेन्नई में एक मेडिकल कॉलेज के बैंक खाते में स्थानांतरित की गई थी. लोन राशि की आड़ में आरोपी व्यक्तियों के करीबी रिश्तेदारों के बैंक खातों के माध्यम से यह स्थानांतरण किया गया था.
माओवादी के स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य प्रद्युम्न शर्मा की भतीजी कर रही थी मेडिकल की पढ़ाई
एनआईए की चार्जशीट के अनुसार नक्सलियों के द्वारा की गई उगाही धनराशि की लाभार्थी एफआईआर में नामित आरोपी और सीपीआई माओवादी के स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य प्रद्युम्न शर्मा की भतीजी है. प्रद्युमन शर्मा फिलहाल हजारीबाग के केंद्रीय कारा में बंद है. एनआईए ने 20 जनवरी 2023 को रांची स्थित विशेष न्यायालय के समक्ष आईपीसी और यूए(पी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दो आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. जून 2023 में एक और आरोपी के खिलाफ पहला पूरक आरोप पत्र दायर किया था, उसके बाद दिसंबर 2023 में दो अन्य के खिलाफ दूसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया था. इस मामले में एनआईए की जांच अभी-भी जारी है.
पूछताछ में आती रही है बातें सामने
झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सलियों के बड़े चेहरे बड़े ही बनावटी हैं, वे जनता के नाम पर लेवी वसूलते हैं और फिर उसी पैसों से अपने परिवार के लिए ऐशो आराम वाले जीवन का नींव डालते हैं. आईजी होमकर के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब बड़े नक्सली कमांडरों के बच्चे के लेवी के पैसे से महंगे कॉलेजों में पढ़ने की बात सामने आई हो. बड़े नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी के बाद उनसे की गई पूछताछ में ऐसी बाते पहले भी आ चुकी है. पूर्व में कई ऐसे नक्सली कामंडर पकड़े गये जिनके बच्चे विदेश और भारत के बड़े शहरों में पढ़ाई कर रहे हैं. यहां तक की लेवी के पैसे से कई शहरों में नक्सली कमांडरों ने आलीशान घर भी बनवा रखा है.
छोटे कैडरों का हो रहा मोह भंग
बड़े नक्सली कैडरों के परिवार वालों के ऐशो आराम के बारे में जानकारी मिलने पर संगठन के छोटे नक्सली कैडरों का भी नक्सलवाद से मोहभंग हो रहा है. छोटे कैडर सिर्फ हथियार ढोने और खाना बनाने तक ही सीमित रह गए हैं. इसी वजह से कई कैडर जंगल छोड़ कर फरार हो गए हैं. आईजी होमकर के अनुसार बड़े नक्सलियों का असली चेहरा ग्रामीणों के सामने भी खुल रहा है, जिसकी वजह से उनका भी उनसे मोहभंग हो रहा है.