रांची: हेमंत सोरेन ने झारखंड में एक नया इतिहास रच दिया है. झारखंड के सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन ने चौथी बार शपथ ली है. हेमंत हमेशा से राजनीति में नहीं आना चाहते थे. इनका सपना इंजीनियर बनने का था. लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की ये राजनीति में भी आए और झारखंड के सीएम भी बने.
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 में रामगढ़ के नेमरा में हुआ. ये वह वक्त था जब शिबू सोरेन अपने साथी बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे. इसी दौरान चिरूडीह नरसंहार हुआ और शिबू सोरेन को कई महीनों तक भूमिगत रहना पड़ा. 1980 के दौर में शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव रखी. आगे चल कर झारखंड बनने के बाद ये पार्टी प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रही.
हेमंत सोरेन का शुरुआती जीवन
हेमंत सोरेन की शुरुआती जीवन की बात करें तो शिबू सोरेन के राजनीतिक तौर पर व्यस्त रहने के कारण उनकी मां रूपी सोरेन ने ही उनकी, छोटे भाई बसंत सोरेन और बड़े भाई दुर्गा सोरेन की देखभाल की. हेमंत सोरेन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई खत्म करने के बाद पटना हाई स्कूल से इंटरमीडिएट किया. इसके बाद उन्होंने रांची में ही बीआईटी यानी बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया. हालांकि वे यहां अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. लेकिन यहां उनकी मुलाकात कल्पना से जरूर हुई जो बाद में इनकी जीवन साथी बनीं.
दूसरी तरफ उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए थे. उनके बोलने का अंदाज, लोगों से मिलने का तरीका शानदार था. झारखंड आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी. 1995 में जामा विधानसभा सीट से जीत हासिल की और विधायक बनें. इसके बाद उन्होंने साल 2000 में एक बार फिर से जामा सीट से जीत हासिल की. लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में वे सुनील सोरेन से हार गए. इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनावों में भी हाथ आजमाया लेकिन उन्हें निशिकांत दुबे से हार का सामना करना पड़ा.
दुर्गा सोरेन की मौत के बाद राजनीति में सक्रिय
दुर्गा सोरेन की 21 मई 2009 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. तब उनकी उम्र महज 40 साल थी. दुर्गा सोरेन की मौत की वजह मस्तिष्क में रक्त स्राव बताया गया था. दुर्गा सोरेन की मौत के बाद परिवार गहरे सदमे में था. दुर्गा की मौत के बाद हेमंत सोरेन की राजनीति में एंट्री हुई. हेमंत सोरेन ने अपनी राजनीति की शुरुआत संथाल से की. 1998 में लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1999 में हेमंत सोरेन की मां रूपी सोरेन को भी बाबूलाल मरांडी से हार का सामना करना पड़ा. मतलब साफ था कि संथाल में ही संगठन कमजोर हो गया था. ऐसे में हेमंत सोरेन ने राजनीति में एंट्री की. उन्होंने सबसे पहले युवा मोर्चा की जिम्मेदारी संभाली. पढ़ाई छोड़कर संथाल परगना में चुनाव प्रचार अपने हाथों में ले लिया. हेमंत ने संथाल में ग्राउंड लेवल पर काफी मेहनत किया और इसी का नतीजा रहा है कि शिबू सोरेन ने 2001, 2004 और 2009 में दुमका से जीत दर्ज की.
पहले चुनाव में हेमंत को मिली हार
2005 में दुमका विधानसभा चुनाव में झामुमो ने पार्टी के कद्दावर नेता स्टीफन मरांडी की जगह हेमंत सोरेन को दुमका से टिकट दिया. लेकिन यहां पर स्टीफन मरांडी ने पार्टी से बगावत कर दी और हेमंत के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे और उन्हें मात दी. लेकिन इसके बाद भी हेमंत सोरेन विचलित नहीं हुए और एक बार फिर से जमीनी स्तर पर काम करने लगे. बाद में धीरे-धीरे शिबू सोरेन शारीरिक रूप से कमजोर होते गए और पार्टी की पूरी बागडोर हेमंत सोरेन के हाथ में आ गई. 2005 में मिली हार के बाद हेमंत ने 2009 में राज्यसभा चुनाव में हाथ आजमाया और उन्हें जीत मिली. लेकिन हेमंत सोरेन ने राज्यसभा का कार्यकाल पूरा नहीं किया. 2009 के दिसंबर में झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए और हेमंत सोरेन ने दुमका से जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया.
2010 में पहली बार डिप्टी सीएम बने हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन ने 2009 में पहली बार विधानसभा में जीत हासिल की थी, इसके बाद 2010 में वे पहली बार अर्जुन मुंडा की सरकार में झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने.
हेमंत ने 2013 में पहली बार झारखंड के सीएम के तौर पर ली शपथ
हेमंत सोरेन ने 2013 में पहली बार सीएम पद की शपथ ली. तब उन्होंने झामुमो, कांग्रेस और राजद के गठबंधन की सरकार चलाई थी. इस सरकार का कार्यकाल 23 दिसंबर 2014 तक था.
2019 में हेमंत सोरेन दूसरी बार बने सीएम
2014 के चुनाव में झामुमो और गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. जबकि बीजेपी और सहयोगी दलों ने इसमें शानदार प्रदर्शन किया और रघुवर दास सीएम बने. लेकिन 2019 के चुनावों में एक बार फिर से हेमंत सोरेन ने वापसी की और सीएम पद की शपथ ली.
2024 में हेमंत सोरेन ने दो बार ली सीएम पद की शपथ
हेमंत सोरेन झारखंड के सीएम के तौर पर काम कर रहे थे. लेकिन इसी दौरान ईडी ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया. लेकिन गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और चंपाई सोरेन सीएम बने. 2024 में हेमंत सोरेन पांच महीने जेल में रहने के बाद वापस आए और एक बार फिर सीएम पद की शपथ ली. झारखंड सरकार का कार्यकाल जनवरी में खत्म होने वाला था, लेकिन एक महीने पहले ही झारखंड में चुनाव कराए गए और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झामुमो और सहयोगी दलों ने शानदार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया. झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई भी सरकार रिपीट हुई हो. इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने सीएम पद की शपथ लेते हुए एक रिकॉर्ड अपने नाम किया और चौथी बार झारखंड का सीएम बनने वाले पहले शख्स बने.
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