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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 29, 2024, 3:26 PM IST

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क्रोकेट लेस पार्क को मिला GI टैग, सालों से यहां बुनाई का काम कर रही महिलाएं - Narasapur crochet Lace Craft

Narasapur crochet Lace Craft: पश्चिमी गोदावरी जिले के नरसापुरम मंडल में रुस्तंबदा क्रोकेट लेस पार्क को भौगोलिक पहचान (GI) से सम्मानित किया गया है. यहां डीआरडीए महिलाओं को लेस बनाने का प्रशिक्षण और कौशल भी प्रदान करता है.

नरसापुर क्रोशिया फीता शिल्प को मिला भौगोलिक संकेत टैग
नरसापुर क्रोशिया फीता शिल्प को मिला भौगोलिक संकेत टैग (ETV Bharat)

अमरावती: आंध्र प्रदेश स्थित पश्चिमी गोदावरी जिले के नरसापुरम मंडल में रुस्तंबदा क्रोकेट लेस पार्क को भौगोलिक पहचान (GI) से सम्मानित किया गया है. गोदावरी जिले की कई महिलाएं ड्रेस डिजाइन के लिए इस्तेमाल होने वाले लेस बुनने में माहिर हैं. इन सभी को एक छत के नीचे लाने के लिए, केंद्र सरकार की मदद से लेस पार्क की स्थापना की गई थी. तब से, महिलाएं बाजार की जरूरतों के हिसाब से लेस बुनाई में लगी हुई हैं.

इस संबंध में भीमावरम जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) के पीडी एमएसएस वेणुगोपाल ने कहा, "यह अच्छी बात है कि लेस पार्क को भौगोलिक पहचान मिल रही है. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. हाल ही में हमने मुंबई के एक्जिम बैंक के सहयोग से 200 लोगों को प्रशिक्षित किया है. कलेक्टर नए इनोवेशन नए उत्पादों और शोरूम के निर्माण पर प्रशिक्षण देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."

नरसापुर क्रोशिया फीता शिल्प को भौगोलिक संकेत टैग मिला (ETV Bharat)

बिचौलियों से बचाने के लिए काम करता है डीआरडीए
उन्होंने बताया कि डीआरडीए का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हजारों लेस निर्माता बिचौलियों द्वारा शोषण किए बिना अपने उत्पाद बेच सकें. डीआरडीए महिलाओं को लेस बनाने का प्रशिक्षण और कौशल भी प्रदान करता है. यह संगठन गैर-लाभकारी आधार पर काम करता है.

कई साल पहले शुरू हुई थी परंपरा
बता दें कि इलाके की महिलाएं अपने खाली समय में फीता बुनकर अद्भुत कलाकृतियां बनाती थीं. यह परंपरा कई साल पहले शुरू हुई थीं. कलात्मक रूप से बुने हुए लेस वर्क प्रोडक्ट कई समारोहों के लिए उपहार में दिए जाते हैं. इससे इन प्रोडक्ट की मांग बढ़ गई है.

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