इंदौर: सोयाबीन स्टेट मध्य प्रदेश में अब सोयाबीन का समर्थन मूल्य ही मोहन सरकार के खिलाफ सियासी मुद्दा बन चुका है. स्थिति यह है कि इस मुद्दे पर किसान भी विपक्षी दल कांग्रेस के साथ खड़ा नजर आ रहा है. यही वजह है कि शुक्रवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों में अन्नदाता किसान अपनी फसल के उचित दाम की मांग को लेकर सड़कों पर उतरकर पुलिस और प्रशासन के साथ धक्का मुक्की करते नजर आए. इधर कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक किसानों को फसलों का समर्थन मूल्य और सोयाबीन का भाव 6000 रूपए क्विंटल नहीं मिल जाता, कांग्रेस का संघर्ष जारी रहेगा.
रिपोर्ट में खुलासा, एमपी में किसानों की आय घटी
दरअसल बीते चुनाव में किसानों की आय दुगना करने के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार के कार्यकाल में छोटे और सीमांत किसानों की औसत आमदनी 27-32 रूपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज प्रति किसान 74121 रूपये हो गया है. केंद्र सरकार की संस्था नेशनल स्टैटिकल कार्यालय के हालिया सर्वे के मुताबिक, मध्यप्रदेश उन राज्यों में है जहां किसानों की आय बढ़ने की जगह घटी है. इसके अलावा बीते 10 सालों में बीते खेती की लागत 25 हजार रूपये हेक्टेयर बढ़ चुकी है.
शिवराज सिंह ने की थी आमदनी दोगुना करने की घोषणा
इधर किसान इस बात को लेकर भी नाराज हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अप्रैल 2023 में रीवा के पंचायती राज सम्मेलन में किसानों की आमदनी दोगुना करने की घोषणा की थी. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रूपये प्रति क्विंटल और धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये प्रति क्विंटल देने का वादा किया जो अब तक पूरा नहीं हो सका. इसके अलावा बीते 5 सितंबर को केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को सोयाबीन खरीदी के लिए प्राइज सपोर्ट स्कीम से बाहर कर दिया. इधर फिलहाल प्रदेश की मंदिरों में सोयाबीन के भाव ₹3600 तक कम हो चुके हैं हालांकि सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपए किया है जिसे 6000 करने की मांग किसान कर रहे हैं.
किसानों के समर्थन में कांग्रेस की न्याय यात्रा
कांग्रेस इस बार पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी नजर आ रही है. इंदौर पहुंचे दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी ने अपनी न्याय यात्रा के दौरान चेतावनी दी है कि जब तक सोयाबीन और अन्य फसलों के समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाए जाते तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इस दौरान दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, ''जब फसल आती है तो मोदी सरकार सोयाबीन के दाम कम कर देती है, लेकिन जब किसान के हाथ से फसल निकल जाती है तो यही फसल महंगी कर दी जाती है.'' उन्होंने कहा, ''सरकार ने नियोजित रूप से तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी, जिससे कि बड़ी-बड़ी कंपनियां कम कीमत पर सोयाबीन खरीद कर बड़ा मुनाफा कमा सकें.''