उत्तरकाशी: करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र चारधाम में से 3 धाम (गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ) के कपाट बंद हो चुके हैं. जबकि, आगामी 17 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. इस साल यानी 2024 की यात्रा की बात करें तो 15 लाख 30 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर पर हाजिरी लगाई. जबकि, बीते साल यह आंकड़ा 16 लाख 40 पार कर गया था. इस तरह से इस बार श्रद्धालुओं की संख्या कम दर्ज की गई है.
गंगोत्री धाम में श्रद्धालुओं की संख्या: बता दें कि इस साल गंगोत्री धाम के कपाट 10 मई को खोले गए थे. जबकि, 2 नवंबर को कपाट बंद किए गए. इस यात्रा सीजन में 8,15,273 श्रद्धालुओं ने गंगोत्री धाम पहुंचकर मां गंगा के दर्शन किए. जिसमें 4,76,778 पुरुष, 3,24,973 महिला और 13,522 बच्चे शामिल रहे.
यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की संख्या:यमुनोत्री धाम के कपाट भी 10 मई को खोले गए थे. जबकि, आज यानी 3 नवंबर को यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किए गए. इस यात्रा सीजन में 7,14,755 श्रद्धालुओं ने यमुनोत्री धाम पहुंचकर मां यमुना के दर्शन किए. जिसमें 3,82,538 पुरुष, 3,16,719महिला और 15,498 बच्चे शामिल रहे.
पिछले साल की तुलना में 1.10 लाख श्रद्धालु पहुंचे कम: इस साल गंगोत्री धाम में 8,15,273श्रद्धालु तो यमुनोत्री धाम में 7,14,755 श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य कमाया. इस तरह से दोनों धामों में 15 लाख 30 हजार 028श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. जबकि, साल 2023 में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में 16 लाख 40 हजार 418 श्रद्धालुओं ने दर्शन किया था. इन आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 1 लाख 10 हजार 390श्रद्धालुओं की संख्या कम है.
30 दिन छोटी रही यात्रा: बीती साल 22 अप्रैल 2023 को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले थे. जबकि, गंगोत्री धाम के कपाट 14 नवंबर 2023 और यमुनोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर 2023 को बंद किए गए. इस तरह से बीती साल गंगोत्री धाम की यात्रा 207 दिन और यमुनोत्री धाम की यात्रा 208 दिनों तक संचालित हुई थी. जबकि, इस साल गंगोत्री धाम की यात्रा 177 दिन और यमुनोत्री धाम की यात्रा 178 दिनों की रही.
शीतकाल में यहां कर सकते हैं दर्शन: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं. जिसके बाद अब शीतकालीन प्रवास स्थल पर मां गंगा और यमुना के दर्शन कर सकते हैं. जिसके तहत मां गंगा की उत्सव मूर्ति मुखबा (मुखीमठ) और मां यमुना की उत्सव मूर्ति खरसाली गांव (खुशीमठ) में विराजमान रहेंगी. जहां पर शीतकाल के दौरान श्रद्धालु पूजा अर्चना के साथ दर्शन कर सकेंगे.
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