भोपाल: अभी तक इतिहास में पढ़ते आए हैं कि अमेरिका की खोज कोलंबस द्वारा की गई थी, लेकिन इतिहास में पढ़ाए जाने वाले इस तथ्य को मध्य प्रदेश की डॉ मोहन सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर इंदर सिंह परमार ने गलत बताया है. इंदर सिंह परमार ने कहा कि 'अमेरिका की खोज कोलंबस ने नहीं की, बल्कि अमेरिका पहले से था. कोलंबस से पहले 11वीं शताब्दी में भारत के व्यापारी व्यापार करने जाते थे, वहां सूर्य के मंदिर का निर्माण उन्होंने कर दिया, अब ऐसे में हम भी कह सकते हैं कि भारतीय व्यापारियों ने अमेरिका की खोज की, लेकिन अमेरिका पहले से हैं, वहां हमारे लोग व्यापार करने जाते थे.
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोलंबस इटली का व्यापारी था और इसलिए इटालियन लोगों द्वारा गलत इतिहास पढ़ाया जाता रहा है. अब मध्य प्रदेश सरकार सही भारतीय ज्ञान परंपरा को छात्रों को पढ़ाएगी.इसीलिए मध्य प्रदेश के विश्वविधालय की लाइब्रेरी में भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर लिखी गई अच्छी पुस्तकों को रखा जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री ने आरएसएस से जुड़े लेखकों की किताबों को लेकर कांग्रेस नेताओं की आपत्ति पर कहा कि यदि छात्रों को सही इतिहास पढ़ाया जाए तो इसमें राहुल गांधी या कांग्रेस के किसी दूसरे नेता को आपत्ति क्यों है' ?
संघ से जुड़े लेखकों की 188 किताबों को लेकर विवाद
दरअसल, मध्य प्रदेश की लाइब्रेरी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लेखकों की 188 किताबों को मध्य प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की लाइब्रेरी में रखे जाने को लेकर विवाद शुरू हुआ. यह सूची पिछले दिनों उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई. कांग्रेस नेताओं ने इसको लेकर भाजपा पर जमकर निशाना साधा था. कांग्रेस नेताओं के विरोध को लेकर अब उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कांग्रेस नेताओं पर पलटवार किया है. मीडिया से रूबरू हुए उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर मध्य प्रदेश में बनी कमेटी में इसका निर्णय लिया था कि भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ाने वाली पुस्तकों को लाइब्रेरी में शामिल किया जाए.'
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि 'अभी तक कई भ्रांतियां किताबों के माध्यम से पैदा की जाती रही है, लेकिन अब भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन को सही परिप्रेक्ष्य में और सही तथ्यों के साथ छात्रों के सामने रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सुरेश सोनी की किताब भारत में विज्ञान की उज्जवल परंपरा में लिखा गया है कि सेल का निर्माण ईशा से 900 साल पहले भारत में किया गया थाय अब यदि यह तथ्य छात्रों को पढ़ाया जाता है, तो फिर राहुल गांधी, जीतू पटवारी और कांग्रेस के दूसरे नेताओं के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? भारत के प्राचीन ऋषि कणक ने कण की सबसे पहले कल्पना की थी, यदि यह छात्रों को पढ़ाया जाए तो इसमें कांग्रेस को आपत्ति क्यों है'?