नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि मंत्रिमंडल को लेकर कोई भी न लॉबी करे और न ही किसी पर यकीन करे. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति उन्हें जानता है, उन्हें पता है कि हम किस तरह से काम करते हैं. मोदी ने यह भी कहा कि आपमें से किसी को भी मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कोई फोन जाए, तो आप पहले उस फोन की ऑथेंसिटी चेक कर लेना, अन्यथा आपको दिक्कत होगी.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि अक्सर सांसद गलत फोन रिसिव के भी शिकार हो जाते हैं, और वे वैसे सोर्स पर निर्भर हो जाते हैं, जिनकी सत्यता संदिग्ध होती है. हालांकि, मीडिया में मोदी मंत्रिमंडल को लेकर तरह-तरह की खबरें चल रहीं हैं. खबरों के मुताबिक किसी भी हाल में भाजपा टॉप चार मंत्रालयों के साथ समझौता नहीं कर सकती है. उनके अनुसार गृह, वित्त, विदेश और रक्षा विभाग भाजपा नेताओं के पास ही रह सकते हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में जो भी मंत्रालय आते हैं, भाजपा हर हाल में चाहेगी कि उन्हें अपने पास ही रखे.
नियमतः मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल हो सकता है और किसे कौन-सा विभाग मिलेगा, इसका निर्णय प्रधानमंत्री करते हैं. परन्तु गठबंधन की जब-जब सरकारें बनी हैं, सहयोगी दलों का दबाव बना रहता है.
यह पहली बार होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे. लिहाजा अटकलों का बाजार गर्म है. हां, उनके पक्ष में एक बात जरूर जाती है कि भाजपा को 240 सीटें मिली हैं. यानी उनकी जितनी संख्या है, कोई भी दूसरा दल उनके आसपास भी नहीं है.
जदयू नेता केसी त्यागी ने एक दिन पहले बयान दिया था कि अटल सरकार के समय में उनकी पार्टी के पास रक्षा और रेल मंत्रालय थे. हालांकि, त्यागी ने यह भी कहा कि इस समय की परिस्थितियां कुछ अलग हैं.
खबरें ये भी हैं कि जेडीयू रेल मंत्रालय को लेकर भी बहुत ही उत्सुक है. इनके पक्ष में तर्क दिया जाता है कि रेल मंत्रालय नीतीश कुमार के पास था. साथ ही इस मंत्रालय को पहले बिहार के नेता प्रायः देखते रहे हैं. जैसे लालू प्रसाद यादव और राम विलास पासवान का नाम प्रमुखता से आता है.