भोपाल।मिस इंडिया निकिता पोरवाल रविवार को मध्य प्रदेश की महाकाल नगरी उज्जैन पहुंचीं. यहां उन्होंने सबसे पहले बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेकर पूजा-अर्चना की. वहीं, निकिता पोरवाल द्वारा महाकाल मंदिर जाने को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. यह विवाद निकिता पोरवाल द्वारा सिर पर ताज पहनने को लेकर है. जिस पर महाकाल मंदिर के पुजारी महेश ने आपत्ति जताई है. लेकिन अब महाकाल पुजारी द्वारा आपत्ति जताने के बाद संत समाज भी दोफाड़ दिख रहा है.
उज्जैन वासियों के लिए बाबा महाकाल अभिभावक के समान
इस मामले को लेकर हिंदू सनातनियों की दो राय है. एक तरफ महाकाल की मर्यादा का हवाला देकर निकिता के ताज पहनकर महाकाल मंदिर आने का विरोध हुआ तो दूसरी तरफ अखिल भारतीय संत समिति का तर्क है कि अगर निकिता पोरवाल अपनी उपलब्धि दिखाने अपने प्रभु महाकाल की शऱण में ताज पहनकर पहुंची तो इसमें मर्यादा भंग होने का मामला कैसे हो गया. उज्जैन नगरवासियों के लिए महाकाल उनके अभिभावक की तरह हैं.
संत समाज ने पूछा- कैसे भंग हुई महाकाल मंदिर की मर्यादा
अखिल भारतीय संत समिति के प्रवक्ता अनिलानंद महाराज कहते हैं " उज्जैन की बेटी अपने को मिले पुरस्कार को लेकर अगर महाकाल के दरबार में पहुंची है तो उनका भाव देखा जाना चाहिए. ये भाव देखा जाना चाहिए कि वे अपने अभिभावक स्वरूप महाकाल को अपनी उपलब्धि बता रही हैं. जिनके आर्शीवाद से उन्हें ये प्राप्त हुई है तो इसे अगर इसी भाव से देखा जाए तो बताइए कि मर्यादा भंग किस तरह से हुई है. भगवान तो केवल भाव देखते हैं.'
मिस इंडिया का ताज पहनकर महाकाल मंदिर पहुंची निकिता
दरअसल, महाकाल मंदिर पहुंची निकिता ने सिर पर वही ताज पहना हुआ था. जो उन्हें मिस इंडिया के खिताब के तौर पर मिला. इस पर महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने एतराज जताया. उनका कहना था "महाकाल मंदिर की तय मर्यादा है. बाबा महाकाल अवंतिका के राजा हैं. राजा के सामने कोई व्यक्ति सिर पर पगड़ी टोपी बांधकर नहीं जा सकता." महेश पुजारी की दलील थी कि निकिता पोरवाल को मुकुट हाथों में लेकर बाबा महाकाल के चरणों में रखना चाहिए था और पूजा करनी चाहिए थी. पुजारी का कहना है कि बेशक निकिता ने ये ताज जीतकर शहर का गौरव बढ़ाया है. लेकिन उन्हें महाकाल मंदिर की मर्यादा का भी ध्यान रखना चाहिए.