प्रवासी वोटरों पर नजर (Etv Bharat) चंडीगढ़:हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल वोट बैंक बनाने में जुटे हैं. इसके लिए जहां सभी पार्टियां अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए अलग-अलग जातियों और वर्गों को साधने में लगे हैं. वहीं, इस बार हरियाणा में जातियों के अलावा एक ऐसा वर्ग है, जिस पर सभी की निगाहें लगी हैं. वह वर्ग है प्रवासी लोगों का जो अलग-अलग राज्यों से संबंध रखते हैं.
प्रवासी वोटर निभा सकते हैं अहम भूमिका!:हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रवासी समुदाय अहम भूमिका निभा सकता है. हरियाणा के करीब 6-7 जिलों में करीब 16 लाख प्रवासी मतदाता रह रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा प्रवासी मतदाता उत्तर प्रदेश से संबंध रखते हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के इन मतदाताओं की हरियाणा चुनाव में अहम भूमिका हो जाती है.
यूपी के दलों के मैदान में आने के सियासी मायने:हरियाणा में विधानसभा चुनाव में इस बार उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले दो दल खासतौर पर हरियाणा के क्षेत्रीय दलों के साथ मिलाकर चुनावी दंगल में उतर रहे हैं. जिनमें इनेलो के साथ BSP और JJP के साथ चंद्रशेखर रावन की पार्टी एएसपी शामिल हैं. वहीं चर्चा तो यह भी थी कि इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस से पांच सीटें मांग रही थी. हालांकि अभी तक इस पर कोई बात सामने नहीं आई है.
सबसे ज्यादा यूपी वोटर: वहीं, बीएसपी और एएसपी के चुनावी दंगल में आने से उत्तर प्रदेश के प्रवासी वोटरों का रोल अहम हो गया है. जो किसी के भी सियासी गणित का उन सीटों पर खेल खराब कर सकते हैं, जहां वे प्रभावी है. हालांकि इन सबके बीच बीजेपी और कांग्रेस भी प्रवासी सम्मेलन करवाकर इस प्रवासी वोट बैंक को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.
NCR जिलों में सबसे ज्यादा प्रवासी:वैसे तो हरियाणा के करीब छह से सात जिलों में प्रवासी वोटरों का प्रभाव है. इनमें एनसीआर के दो जिले फरीदाबाद, गुरुग्राम,सोनीपत, पानीपत, करनाल, अंबाला, यमुनानगर और रोहतक हैं. प्रवासी सबसे प्रभावी फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में दिखाई देते हैं. जिसके तह करीब 7 लाख प्रवासी वोटर आते हैं. जो किसी भी दल के समीकरणों को बना या बिगड़ सकते हैं. गुरुग्राम लोकसभा में भी चार लाख से अधिक प्रवासी मतदाता होने का अनुमान हैं. इसके अलावा करनाल और अंबाला लोकसभा क्षेत्र में भी करीब दो जी दो लाख प्रवासी मतदाता हैं. जबकि हिसार में करीब एक लाख के करीब यह आंकड़ा है.
प्रवासी वोटर की क्या हैं उम्मीदें ?:एक तरफ सभी दल प्रवासी वोटर को रिझाने के लिए अपना दम लगाते दिखाई दे रहे हैं. उनसे बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं, वहीं प्रवासी मजदूर भी अपनी बात रखने में पीछे नहीं रह रहे है. फरीदाबाद में रहने वाले बिहार के कृष्ण प्रसाद कहते हैं कि जो हमें रोजी रोटी दे काम धंधा दे हम उसी के साथ हैं. हमारी और क्या इच्छा हो सकती है. दूसरे राज्यों से हम रोजी रोटी के लिए हो आए हैं।हालांकि वे कहते हैं कि बड़े तो सभी करते जाते हैं. वह पूरा तो करे.
प्रवासी कारोबारी क्या बोले?: वहीं, उत्तर प्रदेश के विराट कहते हैं कि जो हमें सपोर्ट करेगा, हम उसे सपोर्ट करेंगे. वे कहते हैं कि जो उनके मुद्दों पर बात करेगा, वह उनका साथ देंगे. हालांकि वे कहते हैं कि रोजगार तो करने को मिल रहा है. वहीं प्रवासी कारोबारी जितेंद्र कुमार कहते हैं कि कारोबारी होने के नाते वे चाहते हैं कि जो उन्हें स्पोर्ट करेगा और उनके काम से जुड़े मुद्दों पर बात करेगा उसका ही साथ देंगे. वे कहते हैं कि हम बड़े लंबे वक्त से यहां रह रहे और लोग हमें अपना समझें.
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