पटना : बिहार के हिंदी मीडियमसे पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अब बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज में आगामी शैक्षणिक सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई छात्र हिंदी मीडियम में भी कर सकेंगे. हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने वाला बिहार देश का दूसरा राज्य बन गया है.
हिन्दी माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई : गौरतलब है कि प्रदेश के 85000 के करीब सरकारी विद्यालयों में हिंदी मीडियम में ही पढ़ाई होती है और इससे सरकारी विद्यालयों के छात्रों काफी फायदा होगा जो चिकित्सक बनने का ख्वाब देखते हैं. बिहार से पहले हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई सिर्फ मध्य प्रदेश में ही हो रही है.
इसी सत्र से लागू होगा विकल्प: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जानकारी दी है कि राज्य की मेडिकल कॉलेजों में एम्स नई दिल्ली के निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप नीट यूजी परीक्षा 2024 में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के लिए इसी सत्र से हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है. अब मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के छात्रों को हिंदी में भी पढ़ाई करने का विकल्प रहेगा.
हिन्दी मीडियम के मेधावी छात्रों को मिलेगा फायदा : 9 सदस्यी उच्च स्तरीय कमेटी के अनुशंसा के आधार पर सरकार ने यह निर्णय लिया है. इस कमेटी के तीन सदस्यों ने बीते दिनों गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल का अध्ययन किया था. कमेटी ने रिपोर्ट पेश किया कि 'लोकली रेलीवेंट एंड ग्लोबली कॉम्पिटेंट' डॉक्टर बनने में यह मॉडल काफी लाभदायक होगा. इससे चिकित्सा शिक्षा का सरलीकरण अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी मीडियम में करने से हिंदी मीडियम की मेधावी छात्रों को मदद मिलेगी.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री?: मंगल पांडेय ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस ऐतिहासिक पहल को बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मेडिकल पाठ्यक्रम की पढ़ाई हिंदी माध्यम से कराने की व्यवस्था प्रभावी कर दी है. अब छात्रों के पास विकल्प होगा या कि वह हिंदी मीडियम में पढ़ाई करें या अंग्रेजी मीडियम में. उन्होंने कहा है कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पुस्तकों की उपलब्धता को लेकर तमाम आवश्यक पहलुओं पर गहन विमर्श के बाद इसे प्रभावी बनाया गया है.
''बिहार में अधिक संख्या आबादी हिंदी भाषा का प्रयोग करती है और सरकार की प्राथमिकता रही है कि हम हिंदी को ग्लोबल बनाएं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार ने अपनी दूरदर्शी नीति को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया है.''- मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार
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