बागेश्वर:उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड खूबसूरत वादियों के साथ-साथ अनोखी संस्कृति और परंपराओं का संगम है. यही कारण है कि उत्तराखंड देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. दफौट क्षेत्र के मयूं गांव में धूमधाम के साथ पीपल और वट वृक्ष की शादी कराई गई. इस अनोखे विवाह के लिए नैनीताल से आचार्य पहुंचे. सैकड़ों लोग इस विवाह के गवाह बने और शगुन आंखर गाए.
वट वृक्ष बना दूल्हा, तो पीपल वृक्ष दुल्हन:पीपल वट वृक्ष के विवाह में नैनीताल, हल्द्वानी, दिल्ली और मुंबई के प्रवासी साक्षी बने. वट वृक्ष को दूल्हे के रूप में डोली में बैठाकर गांव के गोलज्यू मंदिर ले जाया गया, जहां से कार्यक्रम शुरू हुआ. इसके बाद गाजे-बाजे और परंपरागत नृत्य के साथ गांव के सड़क मार्ग से होकर बारात गांव के हरज्यू सैम और देवी मंदिर के प्रांगण में पहुंची. ग्रामीणों ने पीपल वृक्ष को दुल्हन के रूप में सजाया था. वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ विवाह की सभी रस्में संपन्न हुईं. वहीं, नैनीताल से पहुंचे आचार्य केसी सुयाल ने कहा कि सनातन संस्कृति में वृक्ष पूजन कर पर्यावरण संरक्षण जैसे आयोजन किसी और संस्कृति में दृष्टि गोचर नहीं होते.