पलामू:माओवादी अपने सारंडा, बूढ़ा पहाड़ और छकरबंधा कॉरिडोर को एक्टिव करना चाहते हैं. सारंडा के टॉप कमांडर सभी के साथ बैठक करना चाहते हैं. माओवादियों के टॉप कमांडर लोकसभा चुनाव से पहले आपस में बड़ी बैठक करना चाहते हैं. माओवादियों के इस मंसूबे की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों की मिली है.
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों की ओर से इस रेड कॉरिडोर पर हाई अलर्ट किया गया है. दरसअल नक्सलियों के रेड कॉरिडोर पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. सारंडा बूढ़ा पहाड़ और छकरबंधा के टॉप कमांडरों का संपर्क आपस मे टूट गया है. दो वर्ष से माओवादी के टॉप कमांडर आपस में बैठक नहीं कर पाए हैं. माओवादी सारंडा और बूढ़ा पहाड़ के बीच किसी सुरक्षित ठिकाना पर बैठक करना चाहते हैं.
माओवादियों के रेड कॉरिडोर पर सुरक्षाबलों का है कब्जा
माओवादियों के रेड कॉरिडोर सारंडा बूढ़ा पहाड और छकरबंधा करीब 350 किलोमीटर का है. जिसकी सीमा बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और बंगाल से जुड़ी हुई है. माओवादियों के इस रेड कॉरिडोर पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. इस कॉरिडोर पर सुरक्षाबलों के 70 से अधिक कंपनियां तैनात हैं. इस कॉरिडोर पर माओवादियों ने सुरक्षाबलों के कब्जा के बाद माओवादियों को काफी नुकशान हुआ है. दो वर्षों में 10 से अधिक टॉप कमांडर मारे गए हैं जबकि तीन दर्जन से अधिक गिरफ्तार हुए हैं. इस कॉरिडोर पर माओवादी कैडर समस्या से जूझने लगे हैं.
क्या है माओवादियों के सारंडा, बूढ़ा पहाड़ और छकरबंधा कॉरिडोर
सारंडा माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का मुख्यालय है. जहां से माओवादी बिहार, झारखंड, बंगाल और पूरे नॉर्थ ईस्ट में अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं. सारंडा, बूढ़ा पहाड़ से जुड़ा हुआ है जो माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता, बूढ़ा पहाड़ बिहार के छकरबंधा कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है. छकरबंधा माओवादियों के यूनिफाइड कमांड हुआ करता था. सारंडा से माओवादी अपनी नीति निर्धारण करते थे जबकि छकरबंधा से माओवादी अपने आर्थिक गतिविधियों का संचालन करते थे.
एक करोड़ का इनामी मिसिर बेसरा एक्टिव करना चाहता है कॉरिडोर