देहरादून: उत्तराखंड के कई शहरों को यहां की बेहतर कानून व्यवस्था और पर्यावरणीय खूबियों के कारण रहने के लिहाज से मुफीद माना जाता है. यही वजह है कि राज्य के मैदानी जिलों में रियल एस्टेट का कारोबार खूब फल फूल रहा है. पिछले 5 से 10 सालों के दौरान इस कारोबार में काफी तेजी आयी है. उत्तराखंड के अलावा बाकी राज्यों के लोग भी देहरादून और हल्द्वानी जैसे शहरों में बन रहे इन प्रोजेक्ट्स में अपना आशियाना ढूंढते नजर आए हैं. रियल स्टेट की एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि इसमें कई बार लोग धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं. चिंता की बात यह है कि आम लोग सैकड़ों करोड़ के धंधे और रसूख वाले बिल्डर्स के सामने लाचार होते हैं. जिसके कारण वे अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठते हैं.
उत्तराखंड में रेरा की स्थिति: उत्तराखंड में बना रहे प्रोजेक्ट पर आंकड़ों के लिहाज से नजर दौड़ आए तो स्थितियां यहां भी कुछ बेहतर नजर नहीं आती हैं. प्रदेशभर में ऐसे प्रोजेक्ट्स पर नजर रखने वाली अथॉरिटी के पास शिकायतों को लेकर क्या स्थिति है आइये आपको बताते हैं. प्रदेश में उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ऐसे प्रोजेक्ट पर नजर है. रेरा सचिव एसएल सेमवाल ने बताया विभिन्न प्रोजेक्ट को लेकर अभी तक 1199 शिकायतें मिली हैं. इन शिकायतों में 891 शिकायतों पर अंतिम निर्णय लिया जा चुका है. 308 शिकायतें ऐसी हैं जिनका अभी समाधान होना बाकी है. रेरा ऐसी शिकायतों पर रिकवरी का आदेश, आपसी समन्वय के तहत हल निकालने का विकल्प देता है.
कविता भाटिया की आपबीती:देश मे रियल एस्टेट अथॉरिटी के रूप में रेरा सख्ती दिखाने की कोशिश तो कर रहा है लेकिन उसे इतनी शक्ति नहीं दी गयी है कि वो पूरी तरह से ग्राहकों को न्याय दिल पाए. इसलिए कई लोग सालों साल तक बिल्डर के चक्कर काटते रहते हैं. रेरा से अपने पक्ष में निर्णय आने के बावजूद भी उन्हें फैसले के अनुरूप रिकवरी नहीं मिल पाती. कविता भाटिया भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने एक बड़े बिल्डर के खिलाफ अपनी शिकायत रेरा में की थी. साल 2019 में उन्होंने अपनी शिकायत को रखा. इसके बाद 2022 में उनके पक्ष में फैसला भी आया. रेरा ने कविता भाटिया को 10.15 ब्याज के साथ पैसा लौटाने के लिए बिल्डर को कहा गया, लेकिन आज तक उन्हें पैसा नहीं मिला.
तीन शिकायतें अक्सर करती हैं परेशान:अपना खुद का घर पाने के लिए लोग पैसा लोन लेकर बिल्डर को देते हैं. सालों साल तक इसका ब्याज भी चुकाते हैं. इसके बाद भी उन्हें समय पर घर नहीं मिल पाता है. उल्टा वह बैंक के कर्जदार बन जाते हैं. लोगों द्वारा प्रोजेक्ट को लेकर मुख्य तौर पर तीन तरह की शिकायतें आती हैं. पहली बात तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा न होना, दूसरा बिल्डर द्वारा घर में जिस क्वालिटी का वादा किया जाता है वह न होना, फ्लैट को बताए गए लेआउट के अनुसार ना बनाना, ये तीनों ही शिकायतें अक्सर लोगों को परेशान करती हैं.