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नौकरी छोड़ खुद की बनाई कंपनी, 60 करोड़ का टर्नओवर, माता-पिता ने गिरवी रखी थी जमीन - Maharashtra Youth Quits Job - MAHARASHTRA YOUTH QUITS JOB

Maharashtra Youth Quits Job: महाराष्ट्र के नीलेश साबे ने पुणे की एक कंपनी में नौकरी छोड़, अपना कारोबार शुरू किया. आज उनकी कंपनी का कुल टर्नओवर 60 करोड़ रु. पहुंच गया है.

नौकरी छोड़ खुद की बनाई कंपनी
नीलेश साबे ने नौकरी छोड़ खुद की बनाई कंपनी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 24, 2024, 7:14 PM IST

मुंबई:महाराष्ट्र के अकोला के एक युवा नीलेश साबे के माता-पिता ने अपने बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने दो एकड़ खेत को गिरवी रख दिया. इसके बाद नीलेश इंजीनियर बने और कुछ दिन नौकरी भी. नौकरी छडोड़ने बाद वे एक उद्यमी बन गए. फिलहाल उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 60 करोड़ रुपये है और अब वे उसी कॉलेज से 100 ज्यादा युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, जहां से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में नीलेश साबे ने बताया कि उनके माता-पिता ने 2 एकड़ जमीन गिरवी रखी और लोन के पैसे से उनका दाखिला इंजीनियरिंग कॉलेज में कराया. नीलेश ने 2018 में अमरावती के राम मेघे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी स्ट्रीम में इंजीनियर की डिग्री हासिल की और पुणे की एक कंपनी में 12000 रुपये सैलरी की नौकरी पा ली. माता-पिता को उम्मीद थी कि बेटा लोन चुकाकर गिरवी रखा खेत वापस पा लेगा.

नीलेश साबे (ETV Bharat)

इंडस्ट्री के प्रति जुनून
साबे ने बताया कि पुणे की कंपनी में नौकरी मिलने के बाद अगले तीन महीनों में ही उन्होंने तय कर लिया था कि नौकरी पर निर्भर रहने के बजाय उन्हें खुद का कारोबार करना चाहिए. साबे के पिता रामदास साबे और मां निर्मला साबे अपने बेटे के इस फैसले से थोड़े हैरान थे, लेकिन माता-पिता ने अपने बेटे पर भरोसा जताया और उसका साथ दिया. माता-पिता का आशीर्वाद नीलेश लिए एक ताकत बन गया और नौकरी छोड़कर नौकरी देने वाले बनने के बाद वह एक उद्यमी के रूप में उभरे.

बिजनेस मैगजीन ने किया कमाल
नौकरी छोड़ने के बाद नीलेश साबे ने देश के अग्रणी उद्यमियों की सफलता की कहानियों को उजागर करने के लिए 'स्विफ्टएनलिफ्ट' नाम से एक मैगजीन पब्लिश की. नीलेश ने अपनी बिजनेस मैगजीन में छपने के लिए उद्यमियों को शामिल किया और यह पत्रिका तुरंत सफल हो गई और उद्यमी पत्रिका के पन्नों पर जगह बनाने के लिए कतार में लग गए.

छात्रों का इंटरव्यू लेते नीलेश साबे (ETV Bharat)

कोविड-19 लॉकडाउन ने प्रगति में बाधा डाली
नीलेश साबे के सामने एक बड़ी चुनौती यह थी कि 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से ठप्प कर दिया और साबे की बिजनेस पत्रिका भी इससे अछूती नहीं रही. हालांकि, एक अच्छी बात यह रही कि नीलेश ने देखा कि वैश्विक लॉकडाउन के बावजूद, अमेरिका में कुछ इंडस्ट्रीज सुचारू रूप से चल रही थीं. नीलेश ने अपनी बिजनेस पत्रिका में उन्हें शामिल करने के लिए अमेरिका के उद्यमियों से संपर्क किया और सौभाग्य से, अमेरिका के उद्यमियों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. इस प्रकार, अमेरिका के उद्यमियों की सफलता की कहानियां नीलेश की पत्रिका में प्रकाशित होने लगीं.

अमेरिका में उनकी मैगजीन पब्लिश होने के बाद, अमेरिका और भारत के औद्योगिक जगत में उनके कारोबार की अच्छी पहचान बन गई. इस दौरान उन्होंने स्विफ्टएनलिफ्ट के जरिए उद्यमियों के लिए सुरक्षा और सीसीटीवी सिक्योरिटी प्रदान करने के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया.

नौकरी करने वाले से नौकरी देने वाले तक का सफर
माता-पिता द्वारा जमीन गिरवी रखने के बाद मामूली नौकरी करने से लेकर करोड़पति बनने तक, नीलेश साबे ने लंबा सफर तय किया है. नीलेश ने दर्जनों युवाओं को रोजगार दिया, जिनमें अमरावती के राम मेघे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के पासआउट भी शामिल हैं, जहां से उन्होंने खुद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.

आज नीलेश साबे की 'स्विफ्टएनलिफ्ट' फर्म में 70 से अधिक आईटी इंजीनियर, 350 से अधिक एमबीए ग्रेजुएट और मास कम्युनिकेशन के क्षेत्र में 12 और बिजनेस मैगजीन के ग्राफिक्स और वीडियो एडिटिंग विभाग के क्षेत्र में 11 लोग कार्यरत हैं.

कैंपस भर्ती अभियान के दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए नीलेश साबे ने कहा, "कंपनी को आज 100 से 150 और युवाओं की जरूरत है और मुझे खुशी है कि मैं अपने कॉलेज के युवाओं को नौकरी देने के लिए अमरावती आया हूं."

छात्रों पर कॉलेज को गर्व
राम मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के प्रिंसिपल डॉ दिनेश हरकुट ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह आसान नहीं है कि एक बहुत ही साधारण घर का छात्र आज 60 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले उद्योग का मालिक हो. उन्होंने 2018 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और हमें नीलेश साबे पर गर्व है, एक छात्र जिसने सिर्फ पांच-छह साल में बड़ी छलांग लगाई और सीमा से आगे बढ़ गया.

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