नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी में दिन चढ़ते ही चर्चा का बाजार गरम होता गया, महाराष्ट्र की प्रचंड जीत और झारखंड में रह गई कसर दोनों ही चर्चा के विषय थे. मगर सबसे महत्वपूर्ण बात ये रही कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा. जिस तरह भाजपा को महाराष्ट्र में जनादेश मिला है उससे यह तय है कि मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम रेस में सबसे आगे है.
हालांकि यह निर्णय पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा. लेकिन सूत्रों की मानों तो इस बार पार्टी जनादेश के खिलाफ नहीं जाएगी, यानी सीएम भाजपा का होगा और देवेंद्र फडणवीस की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत नजर आ रही है.
महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन कुल 288 विधानसभा सीट में से 217 सीट पर बढ़त के साथ राज्य में सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रहा. भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र में जीत की बड़ी वजह पार्टी का कैंपेन मैनेजमेंट और जबरदस्त पोलराइजेशन रहा. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा देकर की, जिसे बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आगे बढ़ाते हुए 'एक हैं तो सेफ हैं' का नारा देकर आगे बढ़ाया.
देश के समृद्ध राज्य महाराष्ट्र में भाजपा ने तीसरी बार जीत का झंडा फहरा कर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को बड़ा झटका दिया है. अब चर्चा इसपर भी है कि क्या महाराष्ट्र में एमवीए गठबंधन लंबे समय तक एकसाथ रह पाएगा.
अगर महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव देखा जाए तो भाजपा ने सारा दारोमदार उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के ऊपर डाल रखा था, लेकिन खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के चुनाव कैंपेन की बागडोर भी संभल रखी थी.
2019 के मुकाबले इस चुनावों में 53 लाख ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया और उनके वोटिंग प्रतिशत में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. महिला मतदाताओं ने महायुति को लाडकी बहिन योजना के लिए पूरा समर्थन दिया है. इस योजना के तहत राज्य की 2.5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को चुनाव की घोषणा से पहले तक 1,500 रुपये की पांच किस्तें मिली थीं.