नई दिल्ली: कांग्रेस ने इंडिया अलायंस में शामिल नेशनल कांफ्रेंस से समर्थन जुटाने और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मिलकर मुकाबला करने के लिए शुक्रवार को लद्दाख संसदीय क्षेत्र से बौद्ध धर्मावलंबी सेरिंग नामग्याल को मैदान में उतारा है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार लद्दाख की राजनीति लेह और कारगिल क्षेत्रों के बीच विभाजित है, जहां क्रमशः बौद्ध और शिया मुस्लिम समुदायों का वर्चस्व है.
यहां इंडिया अलायंस के बीच उस समय दरारें दिखाई दी थीं, जब कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ नेताओं ने आधिकारिक उम्मीदवार सेरिंग नामग्याल के खिलाफ लद्दाख लोकसभा सीट के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में हाजी हनीफा जान के नाम की घोषणा करने की मांग की थी. हालांकि, कांग्रेस ने लद्दाख से सेरिंग नामग्याल को मैदान में उतारा है.
इस संबंध में AICC के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'आमतौर पर स्थानीय चुनावों के दौरान सांस्कृतिक और क्षेत्रीय फैक्टर के कारण दोनों समुदाय एक-दूसरे का विरोध करते हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों में एक जुट हो जाते हैं.
ताशी ग्यालसन से होगा सेरिंग नामग्याल का मुकाबला
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि लेह के बौद्ध सेरिंग नामग्याल को पिछले साल हुए लद्दाख स्वायत्त परिषद चुनावों में जीत हासिल करने वाले कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन से फायदा होने की उम्मीद है. उनका मुकाबला लेह में लद्दाख स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी पार्षद और बीजेपी प्रत्याशी ताशी ग्यालसन से होगा.
'खाता नहीं खोल पाएगी बीजेपी'
एआईसीसी प्रभारी जम्मू-कश्मीर भरत सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत को बताया, 'बीजेपी को इस क्षेत्र में एक भी सीट नहीं मिलेगी. जम्मू क्षेत्र में हमारे दो उम्मीदवार बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में सेरिंग नामग्याल को निश्चित रूप से लद्दाख में बीजेपी उम्मीदवार पर बढ़त मिलेगी.
2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था. साथ ही पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. यहां लोकसभा की 5 सीटें हैं और एक सीट लद्दाख में है. पिछले चुनावों में बीजेपी ने यहां से उधमपुर, जम्मू और लद्दाख की सीटें जीती थीं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग सीटें जीती थीं.