...अगर कांग्रेस का ये दांव चला तो हार सकते हैं राव इंद्रजीत, भिवानी-महेंद्रगढ़ में धर्मबीर की हैट्रिक पर संकट - Lok Sabha Fight in Ahirwal Haryana - LOK SABHA FIGHT IN AHIRWAL HARYANA
Lok Sabha Fight in Ahirwal Haryana: हरियाणा के अहीरवाल में इस बार लोकसभा चुनाव की जंग भारी है. गुड़गांव में बीजेपी के टिकट पर 5 बार के सांसद राव इंद्रजीत हैं. उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने राज बब्बर को उतारा है. वहीं भिवानी-महेंद्रगढ़ में बीजेपी के धर्मबीर के सामने कांग्रेस के राव दान सिंह मैदान में हैं. बीजेपी इन दोनों सीटों पर हैट्रिक का दावा कर रही है तो कांग्रेस पुराना इतिहास दोहराने का ऐलान कर चुकी है.
राव इंद्रजीत, राज बब्बर, राव दान सिंह और धर्मबीर (Photo Creation- Etv Bharat)
चंडीगढ़:हरियाणा का अहीरवाल (गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी) इलाका प्रदेश की चौधर तय करता रहा है. इस इलाके में जड़ जामने वाली पार्टी को प्रदेश की सत्ता मिलती है. लोकसभा चुनाव की बात करें तो वहां भी इसका सीधा असर रहता है. अहीरवाल क्षेत्र में दो लोकसभा सीटें प्रमुख तौर पर आती हैं. इनमें से एक भिवानी-महेंद्रगढ़ और दूसरी है गुड़गांव. दोनों सीटें 2014 से पहले कांग्रेस के पास थीं. लेकिन अब बीजेपी हैट्रिक बनाने का दावा कर रही है.
अहीरवाल की राजनीति पार्टी से ज्यादा नेताओं की छवि पर निर्भर करती है. पहले महेंद्रगढ़ और फिर गुड़गांव से 5 बार सांसद बन चुके राव इंद्रजीत सिंह का यहां सिक्का चलता है. पहले वो कांग्रेस से सांसद बने. 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये. दो बार से राव इंद्रजीत बीजेपी से सांसद बनकर केंद्र में मंत्री हैं. 2019 में राव इंद्रजीत ने कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव को 3 लाख 86 हजार 256 वोट से हराया था. कैप्टन अजय यादव को 4 लाख 95 हजार 290 वोट मिले थे. राव इंद्रजीत के कांग्रेस पार्टी बदलने से उनकी सियासत पर कोई असर नहीं पड़ा. विरोधी पार्टी के लिए उन्हें हराना मुश्किल हो गया है.
राव इंद्रजीत के खिलाफ कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक
राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ गुड़गांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने फिल्म अभिनेता और पूर्व सांसद राज बब्बर को उतारा है. राज बब्बर पंजाबी हैं. गुरुग्राम सीट पर करीब 30 प्रतिशत पंजाबी वोटर हैं. इसके अलावा गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में आने वाले नूंह जिले की तीन विधानसभा सीटों पर करीब 4 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. नूंह की तीनों विधानसभा सीटों (नूंह, फिरोजपुर झिरका, पुनहाना) पर कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस को मुस्लिम वोटर का सबसे ज्यादा भरोसा है. वहीं राज बब्बर कांग्रेस के परंपरागत वोट के साथ ही पंजाबी वोटर को भी लुभाने की कोशिश करेंगे. जेजेपी ने राहुल यादव फाजिलपुरिया को टिकट दिया है. अगर यादव वोटर में बंटवारा हुआ तो इसका फायदा राज बब्बर को मिल सकता है.
गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में इस बार सभी बूथों पर 25 लाख 53 हजार 958 मतदाता हैं. इनमें पुरुषों की संख्या 13 लाख 51 हजार 239 है, वहीं 12 लाख 2 हजार 641 महिलाओं की संख्या है. गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या 78 है. हरियाणा के पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा दावा कर रहे हैं कि गुड़गांव सीट इस बार कांग्रेस 3 लाख से ज्यादा वोट से जीतेगी. हलांकि कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर के बाहरी होने का मामला उन्हें मुश्किल में डाल सकता है. जब गुड़गांव सीट से नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे तो उनसे बाहरी होने का सवाल किया गया. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि जो लोग घर से नहीं निकलते, बाहरी वो लोग हैं. उनका कटाक्ष राव इंद्रजीत को लेकर था कि वो सांसद तो बन जाते हैं लेकिन जनता के बीच नहीं जाते.
गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीटें
गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में तीन जिलों की 9 विधानसभा सीटें आती हैं. गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना और पटौदी. नूंह जिले की नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुनहाना. वहीं रेवाड़ी और बावल. 9 में से 4 कांग्रेस के पास और 4 पर बीजेपी का कब्जा है. एक सीट से निर्दलीय विधायक है, जो अभी बीजेपी सरकार को समर्थन कर रहा है.
बीजेपी का भितरघात राव इंद्रजीत पर हो सकता है भारी
गुड़गांव सीट पर राव इंद्रजीत सिंह के लिए बीजेपी का भितरघात भारी पड़ सकता है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि बीजेपी अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह का विकल्प तलाश रही है. अंदरखाने में बीजेपी के कई नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी गई. इनमें से एक नांगल चौधरी के विधायक अभय यादव हैं, हलांकि वो महेंद्रगढ़ के हैं लेकिन यादव होने के नाते अंदरखाने में विरोध का असर हो सकता है. इसके अलावा भी बीजेपी के अंदर कई नेता हैं जो राव इंद्रजीत को पसंद नहीं करते. राव इंद्रजीत पर आरोप है कि बीजेपी से ज्यादा खुद की राजनीति को प्रमोट करते हैं.
भिवानी-महेंद्रगढ़ में राव दान के खिलाफ प्रचार में उतरे राव इंद्रजीत
अहीरवाल इलाके में आने वाली दूसरी लोकसभा सीट है भिवानी-महेंद्रगढ़. यहां से इस बार कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने अपने पुराने सांसद धर्मबीर सिंह पर ही भरोसा जताया है. धर्मबीर जाट समुदाय से आते हैं और राव दान सिंह यादव हैं. राव दान के खिलाफ धर्मबीर के समर्थन में अब राव इंद्रजीत सिंह भी उतर चुके हैं. महेंद्रगढ़ सीट पर यादव और भिवानी में जाट वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. राव इंद्रजीत महेंद्रगढ़ से 2 बार सांसद रह चुके हैं.
रिश्तेदार हैं राव दान सिंह और राव इंद्रजीत
राव इंद्रजीत सिंह और महेंद्रगढ़-भिवानी के कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह आपस में रिश्तेदार हैं. राव दान सिंह महेंद्रगढ़ से 4 बार विधायक रह चुके हैं. 2019 में उन्होंने बीजेपी सरकार में शिक्षा मंत्री रहे रामबिलास शर्मा को हराया था. महेंद्रगढ़ में उनका अच्छा जनाधार है. वहीं राव इंद्रजीत भी धर्मबीर सिंह के समर्थन में राव दान के खिलाफ पूरे दम के साथ उतर चुके हैं. राव इंद्रजीत सिंह कई जगह कह चुके हैं कि राव दान उन्हें छोड़कर चला गया. इस सवाल पर राव दान सिंह ने कहा कि पार्टी छोड़कर वो गये हैं, हम नहीं. राव दान सिंह का दावा है कि अब राव इंद्रजीत का दबदबा नहीं रहा, यहां से कांग्रेस जीत हासिल करेगी.
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट में 9 विधानसभा
भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट 2009 में अस्तित्व में आई. इससे पहले भिवानी और महेंद्रगढ़ अलग सीटें थीं. भिवानी में जाट और महेंद्रगढ़ में यादव मतदाता सबसे ज्यादा. इन्हीं वोटरों के सहारे हार जीत तय होती है. भिवानी-महेंद्रगढ़ में भी तीन जिलों (भिवानी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी) की 9 विधानसभा सीटें आती हैं. भिवानी की 3, महेंद्रगढ़ की 4 और चरखी दादरी की 2. इनमें से 5 बीजेपी के पास, 2 कांग्रेस, एक जेजेपी और एक निर्दलीय विधायक है. महेंद्रगढ़ की 4 विधानसभा सीटों में से 3 बीजेपी और एक सीट कांग्रेस के पास है. वहीं भिवानी की 3 सीटों में से 2 बीजेपी और एक कांग्रेस के पास है. चरखी दादरी की में से एक जेजेपी और निर्दलीय के पास है. निर्दलीय सोमबीर सांगवान कांग्रेस को समर्थन कर रहे हैं.
अहीरवाल में किसान और जवान का मुद्दा
अहीरवाल किसानों और जवानों की धरती कही जाती है. यहां के युवाओं की सेना में जाकर देश सेवा पहली पसंद होती है. इसलिए मोदी सरकार की अग्निवीर योजना के खिलाफ यहां के युवाओं में नाराजगी ज्यादा है. यहां तक कि धर्मबीर के प्रचार के लिए पहुंच बीजेपी के मंत्री राव इंद्रजीत को भी इसका विरोध करना पड़ा. वहीं किसान आंदोलन का भी गांव-गांव में असर है. किसान बीजेपी सरकार से नाराज हैं. इसलिए इन दोनों सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों के लिए इस बार जीत मुश्किल में पड़ सकती है.