हैदराबाद: पंजाब के खडूर साहिब से डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ा. वह ताजा रूझानों के मुताबिक वह इस समय 74099 वोटों से आगे चल रहे हैं. इससे पहले भी कई उम्मीदवार जेल में रहकर चुनाव लड़ चुके हैं और जीत हासिल कर लोकसभा पहुंच चुके हैं.
सिमरनजीत सिंह मान:खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान 1984 से 1989 तक जेल में रहे. जेल में रहकर ही 1989 का लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्होंने 1989 लोकसभा चुनाव साढ़े चार लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीता था. उस साल पंजाब में सबसे बड़ी जीत सिमरनजीत सिंह मान को ही मिली थी. उन्होंने अपनी कृपाण के बिना संसद भवन में दाखिल होने से इनकार कर दिया था, इसके विरोध में त्यागपत्र दे दिया था. 1999 में वो फिर से लोकसभा के लिए चुने गए थे.
इसके बाद मान ने 2022 में संगरूर सीट पर हुए उपचुनाव में 2.53 लाख वोट हासिल कर 2.47 लाख वोट पाने वाले आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमैल सिंह को हरा दिया.
जॉर्ज फर्नांडीज: 1977 में जॉर्ज फर्नांडीज ने जनता पार्टी के टिकट पर बिहार की मुजफ्फरपुर सीट जीती थी. यह वह चुनाव था जो उन्होंने जेल में रहते हुए लड़ा था. 25 जून 1975 को आपातकाल घोषित होने पर जॉर्ज भूमिगत हो गए, लेकिन 10 जून 1976 को उन्हें कलकत्ता (कोलकाता) में गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर कुख्यात बड़ौदा डायनामाइट केस (विवरण अगले भाग में) में आरोप लगाया गया. उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया. 1977 में आपातकाल हटा लिया गया और चुनावों की घोषणा की गई. जॉर्ज चुनावों का बहिष्कार करने के पक्ष में थे, लेकिन मोरारजी देसाई ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए राजी कर लिया, जो आगे चलकर भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने.
जॉर्ज खुद तिहाड़ तक ही सीमित रहे, लेकिन विभिन्न राज्यों से उनके सैकड़ों मित्र और अनुयायी, जिनमें बॉम्बे के ट्रेड यूनियनिस्ट, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र और लोहियावादी शिक्षक और देश भर से युवा समर्थक शामिल थे. उनके निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने के लिए उमड़ पड़े. उनकी मां एलिस फर्नांडिस और भाई लॉरेंस फर्नांडिस भी प्रचार में शामिल हुए. 5.12 लाख वोटों में से जॉर्ज को 3.96 लाख वोट मिले, जो 78% से ज़्यादा था, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार नीतीश्वर प्रसाद सिंह को सिर्फ़ 12% से थोड़ा ज्यादा वोट मिले. जॉर्ज देसाई की सरकार में मंत्री बने और उन्हें पहले संचार और फिर उद्योग का प्रभार दिया गया.
मुख्तार अंसारी: 1996 में गैंगस्टर से नेता बने दिवंगत मुख्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर कांग्रेस के दिग्गज कल्पनाथ राय के खिलाफ चुनाव लड़ा था. वह जेल में थे और जीत गए थे. मुख्तार अंसारी और दो अन्य लोगों पर अप्रैल 2009 में कपिल देव सिंह की हत्या का आरोप लगाया गया था. इस साल मार्च में हृदय गति रुकने से अंसारी का निधन हो गया.