कृष्णागिरी: लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां धुआंधार चुनाव प्रचार करने में जुटे हुए हैं. वहीं तमिलनाडु में कमल खिलाने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, यहां से बीजेपी की नेता विद्या वीरप्पन (Vidhya Veerappan) ने भाजपा का साथ छोड़ नाम तमिलर काची (NTK) का दामन थाम लिया है. एनटीके ने विद्या को कृष्णागिरी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. बता दें कि विद्या रानी कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन (Veerappan) की बेटी हैं. पहले तो ऐसे लग रहा था कि वह बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ सकती हैं. हालांकि, उन्होंने मौका देख पाला बदल लिया. अब वह एनटीके की टिकट पर चुनावी मैदान में उतर गई हैं. इससे दक्षिण में पैठ बनाने की बीजेपी की कोशिशों को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. विद्या रानी वीरप्पन ने इंटरव्यू में कहा कि वे सैद्धांतिक रूप से बीजेपी से सहमत नहीं थीं, इसलिए उन्होंने पार्टी से दूरी बनाते हुए भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने का अवसर अस्वीकार कर दिया. वीरप्पन की बेटी ने कहा कि उन्होंने तमिलर पार्टी का दामन थाम लिया है. वीरप्पन की बेटी विद्या वीरप्पन ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में अपने पिता कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन से लेकर अपने राजनीतिक करियर के बारे में कई बातें बताईं. उन्होंने बीजेपी छोड़ने की बड़ी वजह भी बताई.
क्या बोलीं वीरप्पन की बेटी विद्या रानी?
कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन ने 1999 में एक बार कहा था कि, कर्नाटक के पूर्व मंत्री राजा गौड़ा को चुनावी मैदान में विजय बनाने में उन्हीं का हाथ था. उन्होंने अपने लोगों से राजा गौड़ा के पक्ष में वोट देने के लिए कहा था. विभिन्न आपराधिक मामलों के आरोपी और जंगल का कुख्यात वीरप्पन को राजनीति से काफी लगाव था. वीरप्पन ने कहा था कि फूलन देवी को उत्तर प्रदेश में माफी मिली जिसके बाद वह राजनीति में शामिल हुईं. वीरप्पन ने भी खुद के लिए माफी का इंतजार किया था. जंगल से जारी किए गए वीडियो और ऑडियो कैसेट से बाहरी दुनिया को वीरप्पन की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के बारे में पता चला. लेकिन सब जानते हैं कि वीरप्पन को 2004 में बिना मौका दिए गोली मार दी गई थी. हालांकि वीरप्पन की ये ख्वाहिश पूरी नहीं हुई लेकिन आज उनकी बेटी को राजनीति में जगह मिल गई है. वीरप्पन की बड़ी बेटी विद्यारानी वीरप्पन नाम तमिलर काची पार्टी की ओर से कृष्णागिरी संसदीय सीट से उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर स्थित इस निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय रूप से प्रचार कर रही विद्या रानी वीरप्पन ने अपनी जीत को लेकर काफी जोश में दिखीं.
कृष्णागिरी में क्या है चुनावी माहौल
ईटीवी भारत ने कृष्णागिरी सीट से एनटीके उम्मीदवार विद्या रानी वीरप्पन से पूछा कि, चुनाव प्रचार के दौरान लोग आपको लेकर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? विद्या रानी ने बड़ी बेबाकी से इस बात का जवाब देते हुए कहा कि, चुनाव प्रचार के दौरान लोग मुझे अपने परिवार की महिला के रूप में देखते हैं. लोग इस आशंका के कारण मुझ पर स्नेह बरसाते हैं कि मेरे पिता (वीरप्पन) वहां नहीं हैं. मतदान की स्थिति बहुत अनुकूल है. राजनीति से परे, वे मुझे भावनात्मक रूप से एक बेटी के रूप में देखते हैं. इसके बाद एक अन्य प्रश्न, क्या विद्या रानी को पॉलिटिक्स में उनकी मां और बहन का समर्थन प्राप्त है? इस सवाल का जवाब देते हुए एनटीके की उम्मीदवार विद्या ने आगे कहा, वे (मां और बहन) निश्चित रूप से उनका समर्थन करती हैं. क्योंकि वे भी तमिल राष्ट्रवाद के सिद्धांत के तहत जी रही हैं.ि