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बिहार में महागठबंधन के लिए कितने फायदेमंद साबित होंगे 'सन ऑफ मल्लाह', जानिए पूरा गुणा-गणित - Mukesh Sahani

Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में इंडिया गठबंधन में एक और दल को एंट्री मिली है. वीआईपी चीफ मुकेश सहनी इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए है. वीआईपी को आरजेडी ने अपने कोटे की तीन सीट दी है. आइये जानते हैं कि बिहार में क्या है मुकेश सहनी की ताकत? पढ़ें पूरी खबर

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 5, 2024, 7:57 PM IST

पटना :कभी बॉलीवुड फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करने वाले मुकेश सहनी उर्फ सन ऑफ मल्लाह ने आज एक बार फिर महागठबंधन में एंट्री ली है. इसी के साथ लोकसभा चुनाव से पहले मुकेश सहनी ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी इंडिया गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी. ऐसे में सवाल यह है कि महागठबंधन के लिए 'सन ऑफ मल्लाह' फायदेमंद साबित होंगे, या फिर बीजेपी के लिए सिरदर्द साबित होंगे?.

महागठबंधन में शामिल हुए मुकेश सहनी : पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि, मुकेश सहनी का महागठबंधन में स्वागत है. बिहार की राजनीति के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है. महागठबंधन में मुकेश साहनी शामिल हुए हैं. मुकेश सहनी ने पिछड़ा समाज के लिए बहुत संघर्ष किया है. उन्होंने कहा कि, इस बार जो लोग 400 पार का नारा लगा रहे हैं, उन लोगों को जबदस्त झटका मिलेगा. बिहार में अप्रत्याशित चौंकाने वाला रिजल्ट आएगा. वहीं मुकेश सहनी ने कहा कि, हमलोग महागठबंधन में जुड़े हैं. अब आगे लड़ाई लड़नी है.

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''हमलोग हमेशा लालू प्रसाद के सिद्धांत पर चलने वाले लोग हैं. गरीबों और संघर्ष करने वाले लोगों की लड़ाई मैंने लड़ी. बीजेपी ने मेरी पार्टी को तोड़ने का काम किया. आज भी संघर्ष कर रहा हूं. बंगाल हो या दिल्ली हर जगह निषाद समाज को आरक्षण दिया जा रहा है. लेकिन बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.''- मुकेश सहनी, वीआईपी, संस्थापक

अब 26 नहीं, इतने सीटों पर चुनाव लड़ेगी आरजेडी : बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से आरजेडी अब 26 नहीं बल्कि 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दरअसल आरजेडी ने अपने हिस्से की तीन सीट मोतिहारी, गोपालगंज और झंझारपुर मुकेश सहनी को दी है. ऐसे में अब आरजेडी 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. कई सीटों पर आरजेडी ने अपने उम्मीदवार का ऐलान पहले ही कर दिया है.

इन 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी VIP :समझौते के अनुसार, लालू यादव की पार्टी आरजेडी अपने हिस्से की 26 सीटों में से तीन सीट मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को देगी. बिहार में मुकेश सहनी की पार्टी मोतिहारी, गोपालगंज और झंझारपुर में चुनाव लड़ेगी.

बिहार में क्या है 'सन ऑफ मल्लाह' ताकत? : ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से चर्चित वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी मल्लाहों की राजनीति करते है. मल्लाह में करीब दो दर्जन उप जातियां हैं और एक अनुमान के मुताबिक करीब 7 से 10 फीसदी आबादी मल्लाहों की है. कहा जाता है कि उत्तर बिहार में जहां नदी की संख्या अधिक है, वहां मुकेश सहनी का वोट हार जीत का रुख तय करता है.

इन इलाकों में निषाद समाज का प्रभाव : बिहार में मल्लाह जाति का वोट करीब 7-10 फीसदी के करीब है. वहीं मुकेश सहनी की पार्टी का दावा है कि बिहार में निषाद समुदाय का करीब 14 फीसदी वोट हैं. यहां आपको बता दें कि मुकेश सहनी, जो खुद को 'सन ऑफ मल्लाह' कहते हैं, उनका मिथिलांचल (मधुबनी, दरभंगा), मुजफ्फरपुर, वैशाली और खगड़िया समेत उत्तर बिहार के कई इलाकों में जबरदस्त प्रभाव है.

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इन सीटों पर NDA की चुनौती? :इस बार मुकेश साहनी के हिस्से में झंझारपुर, मोतिहारी और गोपालगंज की सीट गई है. इन तीनों सीटों पर 2014 और 2019 में एनडीए प्रत्याशी की जीत हुई थी. या यूं कहें यह तीनों सीट एनडीए का गढ़ रहा है. 2019 में मोतिहारी की सीट कांग्रेस को गई थी और आरजेडी के खाते में झंझारपुर और गोपालगंज की सीट आई थी. मोतिहारी से राधा मोहन सिंह के खिलाफ आकाश कुमार सिंह चुनाव लड़े थे. वही झंझारपुर से रामप्रीत मंडल के खिलाफ आरजेडी के गुलाब यादव लड़े थे. गोपालगंज लोकसभा सीट से डॉ आलोक कुमार सुमन के खिलाफ आरजेडी के सुरेंद्र राम चुनाव लड़े थे.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ? : वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि मुकेश सहनी, मल्लाह समाज के बड़े नेता बन चुके हैं. अपने समाज के वोट को वोट ट्रांसफर करने में वह कई मौकों पर सफल भी रहे हैं. यही कारण है कि आरजेडी इस बार पिछड़ों को अपने पाले में लाने की जुगत में है. सहनी समाज का वोट महागठबंधन में शिफ्ट हो इसी कारण मुकेश साहनी को तीन सीट दिया गया है.

''जो सीट मुकेश साहनी को दी गई है उन सीटों पर एनडीए का दबदबा रहा है. राधा मोहन सिंह मोतिहारी से छह बार सांसद रह चुके हैं. गोपालगंज और झंझारपुर सीट पर पिछले दो चुनाव से लगातार एनडीए की जीत हो रही है. ऐसे में सीट तो मुकेश साहनी को मिल गया है लेकिन उनके सामने चुनौती होगी कि एनडीए को किस तरीके से इन सीटों पर रोक सकें.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

आखिर बीजेपी से नाराजगी की वजह क्या? : मुकेश सहनी का कहना है कि, हमने जिस सरकार को बनाया उसमें से हमें ही बाहर कर दिया गया. मेरे विधायक खरीद लिए गए, पार्टी तोड़ने की कोशिश की गई. इसके बाद दो सालों से संघर्ष कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि हमारी मांग एकमात्र है कि जब देश एक है, एक प्रधानमंत्री है. ऐसे में दिल्ली और पश्चिम बंगाल में निषाद को आरक्षण है तो फिर बिहार, झारखंड और यूपी में क्यों नहीं?.

क्या थी मुकेश सहनी की मांग? : पिछले साल, वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने 100 की आरक्षण निषाद यात्रा की शुरुआत की थी. दरअसल, मल्लाह, मछुआरा समुदाय जो ओबीसी (अत्यंत पिछड़ा) के अतंर्गत आता है, उन्होंने आरक्षण की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल में निषादों को आरक्षण मिला हुआ है, लेकिन बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में निषादों को आरक्षण नहीं है. ऐसे में 'जो निषादों को आरक्षण देगा, हम उसके साथ हैं.'

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2014 में PM मोदी के लिए मांगा था वोट : 2014 लोकसभा चुनाव में 'सन ऑफ मल्लाह' चुनावी मैदान में तो नहीं थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए प्रचार जरूर किया था. चुनाव मैदान में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट मांगा था. लेकिन कुछ ही दिनों बाद बीजेपी का साथ छोड़ अपनी पार्टी वीआईपी का गठन कर लिया. 2019 का चुनाव महागठबंधन के साथ लड़ा. तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. खुद खगड़िया लोकसभा सीट से ताल ठोंकी. लेकिन यहां से चिराग पासवान की पार्टी के उम्मीदवार महबूब अली कैसर से करीब 2.5 लाख वोटों से हार गए.

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