नई दिल्ली: हर आम चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव 2024 में भी दल बदली जारी है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक नेता एक पार्टी से दूसरे पार्टी में दौड़ रहे हैं. तेलंगाना में भी नेता दल बदल कर रहे हैं. सूबे में इसकी शुरुआत 13 मार्च को उस वक्त शुरू हुई, जब तेलंगाना की वरधानपेट से 10 साल तक विधायक रहे अरुरी रमेश ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) छोड़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने की घोषणा की.
वैसे बीआरएस छोड़ने वाले रमेश अकेले ऐसे नेता नहीं हैं. पिछले साल दिसंबर में भी बीआरएस के सत्ता गंवाने के बाद खेमा बदलने वाले विधायकों और स्थानीय नेताओं की झड़ी लग गई थी. क्या विधायक, क्या सांसद और क्या कार्यकर्ता सभी बीआरएस से अलग होते जा रहे हैं. पिछले आम चुनाव में राज्य की 17 में से 9 सीट जीतने वाली बीआरएस के अब तक पांच सांसद पाला बद कर बीजेपी या फिर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.
बता दें कि सूबे की सभी 17 सीटों पर चौथे चरण के लिए 13 मई को मतदान होना है. दिलचस्प बात यह है कि राज्य की 17 में लगभग 14 सीटों पर दल बदलू उम्मीदवार मैदान में होंगे. तेलंगाना में करीमनगर, निजामाबाद और हैदराबाद ही ऐसी सीटें हैं, जहां बीजेपी, बीआरएस और कांग्रेस ने दल बदल करने वाले नेताओं को मैदान में नहीं उतारा है.
वहीं, मलकागिरी और चेवेल्ला सीट पर तीनों पार्टियों ने दूसरे दलों से उम्मीदवारों पर दांव खेला है. दिलचस्प बात यह भी है कि सूबे में ज्यादातर उम्मीदवार कभी न कभी बीआरएस का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में यहां कई सीट पर बीआरएस के नेता ही बीआरएस के उम्मीदवार को चुनौती देगा.
तेलंगाना में BJP ने 12 पलटीमार नेताओं के दिया टिकट
तेलंगाना में 2019 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटी बीजेपी की कार स्टीरियंग दूसरे पार्टी से नेताओं के हाथ में है. भगवा पार्टी के 17 में से 12 प्रत्याशियों का बैकग्राउंड बीआरएस या फिर कांग्रेस से रहा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बीआरएस के 9 नेताओं को टिकट दिया है. वहीं, बीजेपी के तीन उम्मीदवार कभी न कभी कांग्रेस का हिस्सा रहे हैं.
कांग्रेस और BRS भी पीछे नहीं
दल बदल उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में कांग्रेस और बीआरएस भी बीजेपी से पीछे नहीं हैं. सूबे में कांग्रेस ने 6 और बीआरएस ने 8 ऐसे कैंडिडेट्स को टिकट दिया है, जिनका ताल्लुक दूसरी पार्टियों से रहा है. वैसे दल-बदल के इस खेल में यहां सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व सीएम केसीआर की पार्टी को उठाना पड़ा है. उसके कई नेता कांग्रेस और बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
दल बदल के खेल की बड़ी खिलाड़ी है कांग्रेस
बीआरएस भी दल बदल के खेल की बड़ी खिलाड़ी रही है. आज भले उसे वह इस खेल में पिछड़ रही है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब बीआरएस ने बड़ी तादाद में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेताओं को अपने पाले में खींच लिया था. बीआरएस के ज्यादातर दलबदलू प्रत्याशियों ने अपनी राजनीतिक की शुरुआत टीडीपी से की थी. इस बार भी बीआरएस के 8 उम्मीदवारों में से 3 कांग्रेस, 4 टीडीपी और 1 बहुजन समाज पार्टी से आया हुआ है.
दलबदलू नेताओं पर दांव क्यों लगा रहीं पार्टियां?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों राजनीतिक दल तेलंगाना में दलबदलू नेताओं पर दांव खेल रहे हैं? दरअसल, इसकी तीन वजहें हैं. पहली यह है कि हर पार्टी किसी भी हाल में चुनाव जीतेने की कोशिश कर रही है. साथ ही पार्टियों ने दूसरे दलों से आए उन ही नेताओं को मैदान में उतारा है, जो पूरी तरह से संपन्न हैं, जिनके पास हर तरह से सनसाधन हैं और चुनाव जीतने का दमखम रखते हैं.
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