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लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे में निसिथ प्रमाणिक और घोष समेत बंगाल के कई दिग्गजों को मिली करारी हार - Lok Sabha Elections 2024 - LOK SABHA ELECTIONS 2024

Lok Sabha Elections 2024: सात चरणों में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव 2024 में कई दिग्गज धराशायी हो गए, चाहे वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक हों या केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के राज्य मंत्री, या फिर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, सभी रुझानों में हार गए. पढ़ें पूरी खबर...

Lok Sabha Elections 2024
लोकसभा चुनाव 2024 (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 5, 2024, 7:21 PM IST

कोलकाता:पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव 2024 में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) 42 में से 29 सीटों पर जीत हासिल करते हुए प्रमुख ताकत के रूप में उभरी. मुख्य रूप से टीएमसी और बीजेपी के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें टीएमसी ने निर्णायक जीत हासिल की. ​​पश्चिम बंगाल में संसद के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए सात चरणों में मतदान हुआ.

ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी ने महत्वपूर्ण जीत हासिल की, जिसमें यूसुफ पठान, महुआ मोइत्रा और अभिषेक बनर्जी जैसे प्रमुख व्यक्ति क्रमशः बहरामपुर, कृष्णानगर और डायमंड हार्बर से विजयी हुए. इस व्यापक जीत ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी की स्थिति को मजबूत किया है और राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दिया है.

सात चरणों में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव 2024 में कई दिग्गज धराशायी हो गए, चाहे वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक हों या केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के राज्य मंत्री, या फिर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, सभी रुझानों में हार गए. प्रमाणिक और घोष के अलावा, ऐसे और भी कई नेता हैं जो भले ही इन दोनों जितने बड़े ना हों, लेकिन लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण माने जाते थे. जैसे कि कांग्रेस के अधीर चौधरी, भाजपा की लॉकेट चटर्जी और संदेशखली घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनी हुई उम्मीदवार रेखा पात्रा, इन्हें भी इस चुनाव में हार सामना करना पड़ा.

2021 में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद से निसिथ प्रमाणिक काफी विवादों में रहे हैं, प्रमाणिक भगवा ब्रिगेड के एक भरोसेमंद लेफ्टिनेंट थे क्योंकि उनका पूरे कूचबिहार पर नियंत्रण था और उन्होंने दिनहाटा में विधायक के रूप में भी काम किया था. आश्चर्यजनक रूप से, लोकसभा चुनाव 2024 में प्रमाणिक तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया से 39250 मतों से हार गए. भाजपा के एक अन्य दिग्गज दिलीप घोष भी बर्धमान-दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र से तृणमूल के दिग्गज कीर्ति आजाद से 1,37,981 मतों से हार गए.

कांग्रेस के एकमात्र झंडाबरदार और पांच बार के सांसद अधीर चौधरी भी इस बार चुनाव जीतने में विफल रहे. वे बहरामपुर से तृणमूल के क्रिकेटर से नेता बने यूसुफ पठान से 85022 वोटों से हार गए. चौधरी ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य में ममता बनर्जी की अगुआई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार के प्रति अपने बेबाक विरोध के लिए 'रॉबिनहुड' का नाम कमाया.

बंगाली अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी ने को पश्चिम बंगाल की Hooghly लोकसभा सीट काफी उम्मीद थी. इस सीट पर जीत की उम्मीद के साथ उन्होंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया था. हालांकि, इस सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेत्री से टेलीविजन एंकर बनी रचना बनर्जी को इस सीट से मैदान में उतारा था. रचना ने हुगली सीट से 76853 वोटों से जीत दर्ज की, जिससे संसद जाने की उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं. पश्चिम बंगाल भाजपा की वर्तमान महासचिव को अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए नए सिरे से शुरुआत करनी होगी.

लचस्प बात यह है कि जिस संदेशखाली के मुद्दे को भाजपा ने पूरे देश में भुनाया वहां भी हार गई. बशीरहाट लोकसभा चुनाव में टीएमसी कैंडिडेट नुरुल इस्लाम ने 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर ली है. यहां से बीजेपी ने संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्रा को अपना प्रत्याशी बनाया था.

संदेशखाली के मुद्दे को भाजपा ने पूरे देश में भुनाया था. संदेशखली मामले से सुर्खियों में आने वाली रेखा पात्रा भाजपा के लिए कुछ खास साबित नहीं हो पाई, रेखा वोटों के मामले में उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाईं. वह इस सीट पर तृणमूल के शेख नूरुल इस्लाम से 3,33,547 वोटों से हार गईं.

बता दें, पूरे पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शनों के शोरगुल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला दिवस मनाने के लिए बारासात का दौरा किया था. वहां उन्होंने संदेशखली की प्रताड़ित महिलाओं की बात ध्यान से सुनी थी. दिल्ली जाकर रेखा पात्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव में बशीरहाट निर्वाचन क्षेत्र से टिकट देने का फैसला किया, जो कि तृणमूल कांग्रेस का गढ़ है. लेकिन रेखा वोटों के मामले में उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाईं. वह एकतरफा मुकाबले में तृणमूल के शेख नूरुल इस्लाम से हार गईं.

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