चंडीगढ़: पंजाब की मोहाली जिला अदालत ने 13 साल पुराने मारपीट के मामले में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को बरी कर दिया है. अदालत ने फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष उसके अपराध को साबित करने में विफल रहा. न्यायिक मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) नेहा जिंदल ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है.
जिंदल ने कहा, "लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ कोई सबूत मौजूद नहीं है. इसलिए आरोपी को बरी किया जाता है. उसकी जमानत बांड को भी खारिज किया जाता है." अदालत ने पाया कि दो सह-आरोपी, नवप्रीत सिंह उर्फनितार और तरसेम सिंह उर्फ साहिबा को प्रोक्लेम ऑफेंडर घोषित किया गया था और उन पर मुकदमा नहीं चल रहा था. उनके मामले उनकी गिरफ़्तारी या स्वैच्छिक आत्मसमर्पण के बाद निपटाए जाएंगे.
बिश्नोई की पहचान करने में असफल रहे गवाह
जिंदल के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि बिश्नोई को बरी करने के फैसले से घोषित अपराधियों के खिलाफ भविष्य की कार्यवाही प्रभावित नहीं होगी. बता दें कि सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने केवल दो गवाह पेश किए थे इनमें शिकायतकर्ता सतविंदर सिंह और प्रत्यक्षदर्शी कविन सुशांत शामिल थे. हालांकि, दोनों ही अपने बयान से मुकर गए और अदालत में बिश्नोई की पहचान करने में असफल रहे.
फैसले में आपराधिक मुकदमे में आरोपी की पहचान स्थापित करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा गया है कि बिना स्पष्ट पहचान के किसी भी व्यक्ति पर अभियोग नहीं लगाया जा सकता. चूंकि शिकायतकर्ता और गवाह ने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया, इसलिए अन्य औपचारिक गवाहों की आगे की जांच निरर्थक होगी.