पटना: बिहार में विधानसभा का चुनाव इसी वर्ष होना है. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पार्टी को मजबूती के लिए नए राज्य प्रभारी की नियुक्ति की है. मोहन प्रकाश की जगह कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया गया है. एक युवा नेता को बिहार का प्रभारी बनाकर कांग्रेस पार्टी ने बिहार में युवाओं को साधने का एक मैसेज पार्टी नेताओं एवं आम मतदाताओं को दिया है. सवाल ये है कि क्या तेजस्वी यादव के युवा पॉलिटिक्स को कृष्णा अल्लावरु के बहाने क्या कांग्रेस नया राजनीतिक संकेत दे रही है? क्योंकि कृष्णा अल्लावरु की राजनीति कांग्रेस में हमेशा यूथ कांग्रेस को आगे बढ़ाने की ही रही है.
कौन हैं कृष्णा अल्लावरु?: बिहार कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी कृष्णा अल्लावरु की गिनती कांग्रेस के युवा चेहरा में होती है. इसके अलावे उनकी गिनती राहुल गांधी के करीबी नेता में होती है. वे एआईसीसी के जॉइंट सेक्रेटरी के साथ-साथ युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी भी रह चुके हैं. पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार बनाने में इन्होंने मजबूत भूमि का निभाई. इसके अलावा 2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में इन्होंने मीडिया कैंपेनिंग की कमान संभाली थी. 2017 में ही गुजरात में कांग्रेस को 99 सीट पर जीत मिली थी.
युवा प्रभारी पर दांव : बिहार विधानसभा के चुनाव में अब बहुत दिन नहीं बचे हैं. जुलाई के बाद कभी भी विधानसभा चुनाव की बिगुल बज सकती है. विधानसभा चुनाव से पहले कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला है. कृष्णा अल्लावरु के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कम समय में न केवल उनको पार्टी और संगठन को मजबूती देने पर काम करना होगा, बल्कि आरजेडी के साथ सीट बंटवारे पर भी सांमजस्य बिठाना.
कांग्रेस का बिहार में नया प्रयोग: वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि तेजस्वी यादव 17 महीना के कार्यकाल के बाद जब से विपक्ष में बैठे हैं. लगातार युवाओं की चर्चा कर रहे. युवा एवं रोजगार उनके मुख्य एजेंडा में शामिल है. कृष्ण अल्लावरु के बहाने कांग्रेस तेजस्वी यादव के युवा वोटरों के बीच अपने पार्टी की मजबूत पैठ बढ़ाने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा राहुल गांधी हर प्रदेश में उस नया प्रभारी बना रहे हैं जो उनके बहुत ही नजदीकी रहे हैं. बिहार में अब तक जो भी कांग्रेस के प्रभारी रहे हैं उसमें सबसे कम उम्र के प्रभारी के रूप में कृष्ण अल्लवारु की नियुक्ति की गई है. जो वर्षों से यूथ कांग्रेस को मजबूत करने का काम कर रहे हैं.
नया चेहरा पर दांव क्यों?: वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि बिहार में अब तक जो भी कांग्रेस के प्रभारी बने हैं वह बड़े चेहरे रहे हैं. जो भी कांग्रेस के पुराने चेहरे प्रभारी बनकर आए उनके लालू प्रसाद यादव से बेहतर संबंध रहे हैं. राहुल गांधी दक्षिण भारत के एक युवा चेहरा को इसलिए बिहार भेजे हैं ताकि उन पर लालू प्रसाद यादव या 10 सर्कुलर रोड का ज्यादा प्रभाव ना हो. इसके अलावा जिस तरीके से 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस तैयारी कर रही है उसमें कांग्रेस चाहती है कि वह बिहार में अधिक सीटों पर चुनाव लड़े. यही कारण है कि ऐसे चेहरे को प्रभारी बनाकर बिहार भेजा गया है जो आरजेडी से सीटों के तालमेल में अपनी बात बेबाकी से रख सके.
सीट शेयरिंग की समस्या: 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीट में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थी. 70 सीट पर चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी. इस वर्ष होने वाले चुनाव में कांग्रेस ने फिर से 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का अपना दावा कर दिया है. खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने 2020 फार्मूले को लेकर अपना दावा कर दिया है. लेकिन इस बार यह चर्चा है कि आरजेडी 40 से अधिक सीट देने के पक्ष में नहीं है. ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव से तालमेल बनाना कृष्णा अल्लावरु के लिए बड़ी चुनौती होगी.
नए प्रभारी से कांग्रेस को उम्मीद : कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञानरंजन का मानना है कि''कृष्ण अल्लवारु की पहचान संगठन करता के रूप में रही है. 7 वर्षों तक युवा कांग्रेस के पूरे देश के प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं. पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार एवं 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने बेहतरीन काम किया.''
''संगठन के बेहतरीन काम करने के कारण ही पार्टी वाला कमान ने उन्हें बिहार जैसे प्रदेश की जिम्मेदारी दी है. उनके नाम मात्र सुनने से बिहार कांग्रेस के नेताओं में ऊर्जा भर गया है. उनके बिहार प्रभारी बनने से युवाओं और समर्पित कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति एक विश्वास जगी है. ज्ञानरंजन का मानना है कि इनके नेतृत्व में पार्टी बिहार में मजबूत स्थिति में होगी.''- ज्ञानरंजन, प्रवक्ता, कांग्रेस