देहरादून:10 मई को उत्तराखंड चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया है. इस बार की यात्रा में अभी तक 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिसने शासन और -प्रशासन को चिंता में डाल दिया है. चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जब अधिक ऊंचाई पर पहुंचते हैं, तो हाई एल्टीट्यूड होने की वजह से श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है. इसी वजह से उत्तराखंड चारधाम यात्रा में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.
गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में हुई सबसे ज्यादा मौतें:उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर आए 12 श्रद्धालुओं की मौत हुई है. उत्तरकाशी और चमोली जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक यात्रा के पहले दिन (10 मई) को यमुनोत्री धाम में मध्य प्रदेश के रहने वाले 71 साल के रामगोपाल, उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के रहने वाली 69 साल की विमला देवी और 62 साल की संपत्ति बाई की मौत हुई थी. यात्रा के तीसरे दिन बेंगलुरु के रहने वाले 54 साल के विष्णु कुमार की मौत हुई थी, जबकि चौथे दिन गुजरात निवासी 63 वर्षीय सूर्यकांत का निधन हुआ था.
बदरीनाथ में भी हार्ट अटैक से श्रद्धालु की मौत:यमुनोत्री धाम में मध्य प्रदेश निवासी 54 साल के रामप्रसाद अपना संतुलन खो बैठते हैं और पैर फिसलने की वजह से वह चोटिल हो जाते हैं. जिसकी वजह से इलाज के दौरान उनकी अस्पताल में मौत हो जाती है. अहमदाबाद (गुजरात) निवासी 68 साल की दक्षा पटेल की हृदय गति रुकने से मौत हो जाती है. 62 साल के मनोहर दत्ताराम की अचानक तबीयत खराब होने की वजह से अस्पताल में उनकी मौत हो जाती है. वहीं, गंगोत्री धाम में गोवा से आई 76 साल की शोभा की मौत हो जाती है, जबकि यमुनोत्री धाम में गुजरात के 60 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो जाती है. बदरीनाथ में भी सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई है. इसके अलावा गंगोत्री ट्रेक पर पंजाब निवासी पवन की मौत हो गई है. पवन ट्रेकिंग करते हुए गोमुख से वापस आ रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत खराब हुई, जिससे उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
हाई एल्टीट्यूड पर जाने के बाद होती है हाइपोक्सी डिजीज:फिजिशियन केके त्रिपाठी ने बताया कि हाई एल्टीट्यूड पर जाने के बाद शरीर में हाइपोक्सी डिजीज हो जाती है. यानी जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है और ब्लड में ऑक्सीजन लेवल की कमी आने लगती है, तब हमें सांस लेने में दिक्कत होती है. जिस ब्लड में ऑक्सीजन लेवल की कमी होती है, उस ब्लड को हमारा ब्रेन लेना बंद कर देता है. ऐसे में जब ब्लड और ऑक्सीजन हमारे दिमाग में नहीं पहुंचता, तब दिमाग पूरी तरह से बंद हो जाता है और हार्ट अटैक की संभावना बन जाती है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में अगर हार्ट अटैक से लोगों की मौत हो रही है, तो वह मौतें सिर्फ उम्र दराज लोगों की ही हुई होंगी. इसमें 50% उम्र की वजह से और 50% 50 साल के नीचे के लोग भी शामिल हो सकते हैं.