हैदराबाद :प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके आधिकारिक आवास पर तलाशी लेने और उत्पाद शुल्क नीति मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में दो घंटे तक पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार करने के कुछ घंटों बाद हुई है. ताजा जानकारी के मुताबिक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग मंजूर कर ली गई है.
2021-22 का है मामला
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की उत्पाद शुल्क नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था. प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि AAP नेताओं को उत्पाद शुल्क नीति में ₹100 करोड़ की रिश्वत मिली. ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र में भी केजरीवाल के नाम का कई बार उल्लेख किया गया है. एजेंसी का आरोप है कि आरोपी आबकारी नीति बनाने के लिए केजरीवाल के संपर्क में थे.
मामले में आप नेता मनीष सिसौदिया और संजय सिंह पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं. केजरीवाल ने पिछले साल 2 नवंबर से संघीय एजेंसी द्वारा जारी किए गए आठ समन को 'अवैध और राजनीति से प्रेरित' बताते हुए नजरअंदाज कर दिया.
नवंबर 2021 से लागू हुई थी नई शराब नीति : दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति 17 नवंबर 2021 को लागू की थी. इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए. हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं. ईडी ने दावा किया है कि दिल्ली की आबकारी नीति में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और के कविता (पिछले सप्ताह गिरफ्तार) समेत अन्य राजनीतिक नेताओं ने साजिश रची थी. व्यवसायी सरथ रेड्डी, मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और के कविता वाले एक साउथ ग्रुप को नई उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के तहत दिल्ली में 32 में से नौ जोन मिले. यानी कुल मिलाकर पूरी दिल्ली में 849 दुकानें खोली जानी थी. केजरीवाल सरकार की इस नई नीति के तहत शराब की सभी दुकानों का प्राइवटाइजेशन कर दिया गया. इससे पहले 60 फीसदी दुकानें सरकारी और बाकी की 40 फीसदी प्राइवेट थीं. नई नीति के अनुसार सभी 100 फीसदी दुकानें प्राइवेट हो गईं. इस नीति को लागू करने के पीछे दिल्ली सरकार का तर्क था कि इससे करीब साढ़े तीन हजार करोड़ का राजस्व लाभ मिलेगा.
लाइसेंस फीस कई गुना बढ़ी
दिल्ली सरकार ने नई नीति में लाइसेंस फीस को कई गुना बढ़ा दिया. पहले एल-1 लाइसेंस के लिए कॉन्ट्रेक्टर को करीब 25 लाख का भुगतान करना पड़ता था. वहीं, नई शराब नीति के तहत ठेकेदारों को तकरीबन 5 करोड़ चुकाने पड़े थे. इसी तरह दूसरी श्रेणी में भी लाइसेंस फीस में अच्छी खासी वृद्धि की गई.
लगे करप्शन के आरोप
दिल्ली की केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को काफी नुकसान होने के आरोप लगाए गए. वहीं, शराब के बड़े बिजनेसमैन को बड़े फायदे की बात कही गई. बीजेपी ने इस मुद्दे को भुनाया और केजरीवाल सरकार पर तीखे हमले किए.