देहरादून:देश-दुनिया में एड्स से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसी क्रम में देवभूमि उत्तराखंड में भी एड्स के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. जिसका नतीजा है कि साल 2023-24 में 1,517 नए मरीज मिलने की पुष्टि हुई है. एड्स एक गंभीर बीमारी है, जिसका कोई इलाज और कोई वैक्सीन नहीं है. ऐसे में एड्स से बचने और वैक्सीन की जरूरत को बताने के लिए हर साल 18 मई को वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाया जाता है, ताकि इसकी वैक्सीन विकसित करने के महत्व संबंधित जागरूकता फैलाई जा सके.
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने एड्स वैक्सीन पर दिया था जोर:पहली बार साल 1998 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) ने 18 मई को वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाने की शुरुआत की थी. इस दिन को मानने की मुख्य वजह ये थी कि तत्कालीन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 1997 में मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में अपने भाषण के दौरान एड्स के लिए एक वैक्सीन विकसित करने पर जोर दिया था. ऐसे में 18 मई को आयोजित होने वाला यह उत्सव अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की 1997 की घोषणा की याद दिलाता है.
उत्तराखंड में 2023-24 में आए 1,517 नए मामले:स्टेट्स ऑफ़ नेशनल एड्स रिस्पांस 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 24.01 लाख लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. हर साल करीब 63 हजार नए संक्रमण के मामले दर्ज होते हैं. साथ ही करीब 42 हज़ार लोगों की मौत हर साल होती है. वहीं, उत्तराखंड की बात करें तो हर साल एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1517 नए मामले सामने आए थे. वर्तमान समय में 6,654 मरीजों को एचआईवी की निशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं, जबकि अभी तक 2096 मरीजों की मौत हो चुकी है.
उत्तराखंड में कोरोना के बादबढ़े एड्स के मामले:उत्तराखंड में पिछले 9 सालों के भीतर करीब 8,740 नए एचआईवी पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं. जिसमें से अभी 6,654 मरीज, केयर सपोर्ट ट्रीटमेंट ले रहे हैं. कोरोना के बाद एचआईवी संक्रमण दर में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. कोविड काल के दौरान साल 2020-21 में 602 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई थी. साल 2021-22 में 863 मरीजों, साल 2022-23 में करीब 1025 मरीजों और साल 2023-24 में करीब 1,517 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई है. यानी पिछले वित्तीय वर्ष में रोजाना 4.15 लोग एचआईवी संक्रमित हो रहे है, जोकि एक बड़ी चिंता का विषय है.