तिरुवनंतपुरम:केरल के तिरुवनंतपुरम में सरकारी मेडिकल कॉलेज की लिफ्ट में 42 घंटे तक फंसे रहने वाले रवींद्रन नायर ने इस घटना को एक बुरे सपने जैसा बताया. रवींद्रन नायर ने बताया कि उन्होंने कई बार अलार्म बटन बजाया और लिफ्ट में मौजूद सभी हेल्पलाइन नंबरों पर भी कॉल किया, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं आया. केरल के उल्लूर निवासी नायर पीठ दर्द के इलाज के लिए अस्पताल गए थे. वह एक्स-रे करवाने के बाद डॉक्टर को दिखाने के लिए लिफ्ट में चढ़ रहे थे, तभी लिफ्ट फंस गई.
उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, "मैं शनिवार को कमर दर्द के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज आया था. कुछ दिन पहले कराए गए ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट लेकर लौटा तो लिफ्ट में फंस गया. लिफ्ट में कुछ इमरजेंसी नंबर और एक अलार्म स्विच था. मैंने अलार्म स्विच को दोनों हाथों से दबाया और फिर इमरजेंसी सर्विस नंबर पर कॉल किया. कोई जवाब नहीं मिला. मैं अपने बैग को तकिया बनाकर लिफ्ट के फर्श पर लेट गया. इसके बाद मेरा फोन गिर गया और उसने काम करना बंद कर दिया."
'मैं जोर से रोता था'
इसके बाद जब वह मदद के लिए इंतजार कर रहा थे तभी उन्हें एहसास हुआ कि अगला दिन रविवार है और वह सोमवार तक वहीं फंसा रहेंगे. उन्होंने कहा, "लिफ्ट में फंसे रहने के दौरान मैंने एक कोने में पेशाब किया. कभी-कभी, मैं जोर से रोता था. मैं सो नहीं पाया. जब मुझे प्यास या भूख लगती, तो मैं बस अपने होंठ चाटता. मैं लगातार अलार्म बेल दबाता रहा. हालांकि लिफ्ट के चैंबर में कोई पंखा या लाइट नहीं थी, फिर भी थोड़ी हवा अंदर आती रही, जिससे ऑक्सीजन मिलती रही."
परिवार ने लिखाई गुमशुदगी की रिपोर्ट
जब नायर शनिवार को घर नहीं पहुंचे तो उनकी पत्नी और उनके दो बेटे बहुत चिंतित नहीं थे, उन्हें लगा कि वह काम में बिजी होंगे, लेकिन जब वह रविवार को भी घर वापस नहीं पहुंचे और किसी से फोन पर संपर्क भी नहीं किया तो घर वालों को चिंता होने लगी. तब जाकर उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और उनकी तलाश शुरू की, लेकिन वह नहीं मिले.