एर्नाकुलम:केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि, अच्छे इरादों से शिक्षकों का बच्चों को थप्पड़ मारना कोई अपराध नहीं है. कोर्ट का संदर्भ त्रिशूर के प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों के खिलाफ छात्रों की तरफ से दायर शिकायत को रद्द करने से था. अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए निजी स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल के खिलाफ दायर मामले को रद्द कर दिया.
जस्टिस ए बदरुद्दीन ने त्रिशुर जिले के चित्तटुकारा के एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस-प्रिंसिपल के खिलाफ मामले को रद्द करते हुए उल्लेखनीय टिप्पणी की. पिछले साल जनवरी में त्रिशुर के चित्तटुकारा के एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल पर छात्रों के गाल पर थप्पड़ मारने का आरोप लगा था. जिसको लेकर छात्रों ने पावराती पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.
खबर के मुताबिक, क्लास ब्रेक के दौरान कुछ बच्चों ने खाना खाते समय गाना गाते हुए पाए गए थे. जिसके बाद छात्रों को प्रिंसिपल के कमरे में ले जाया गया. छात्रों का आरोप है कि, प्रिंसिपल के केबिन में उनके गाल पर थप्पड़ मारे गए. छात्रों ने अपनी शिकायत में कहा कि, इस दौरान प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने उनकी शर्ट का कॉलर पकड़ और चेहरे पर थप्पड़ मारा.
वहीं प्रतिवादियों ने पावराती पुलिस थाने में दर्ज मामले को रद्द करने की मांग करते हुए केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले में चावक्कड़ तालुक अस्पताल में की गई मेडिकल जांच से पता चला कि छात्रों को बाहरी चोट नहीं लगी थी. हाई कोर्ट ने प्रतिवादियों की मांग पर सुनवाई करते हुए कहा कि, स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों को थप्पड़ मारना गंभीर अपराध नहीं माना जा सकता. हाई कोर्ट ने आकलन किया कि, छात्रों के मेडिकल टेस्ट में कोई बाहरी चोट नहीं देखी गई.
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