नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल के अंदर से अपनी सरकार नहीं चला सकते. पूर्व नौकरशाहों और संवैधानिक विशेषज्ञों ने कहा कि उस स्थिति में दिल्ली के उपराज्यपाल हस्तक्षेप कर सकते हैं और संवैधानिक टूटने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने का सुझाव दे सकते हैं.
वरिष्ठ नौकरशाह और दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल ने ईटीवी भारत से कहा, 'यदि वह (अरविंद केजरीवाल) यह कहते हुए इस्तीफा नहीं देते हैं कि वह जेल से सरकार चलाएंगे, तो यह संवैधानिक विघटन को आमंत्रित करेगा जहां सरकार नहीं चल सकती. वह जेल से न तो कैबिनेट बैठक कर सकते हैं और न ही कोई निर्देश दे सकते हैं. ऐसे में उपराज्यपाल के सुझाव के बाद केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर राष्ट्रपति शासन लगा सकती है.'
सहगल ने हालांकि कहा कि अगर केजरीवाल इस्तीफा देते हैं तो पार्टी का दूसरा विधायक मुख्यमंत्री बन सकता है और सरकार चला सकता है. सहगल ने जेल मैनुअल का जिक्र करते हुए कहा, 'जेल मैनुअल भी किसी व्यक्ति को जेल के अंदर से सरकार चलाने की इजाजत नहीं देता है. जेल अधिकारी जेल के कैदियों को केवल बाहर से खाना, कपड़े, वकील से मिलना, डॉक्टरों और परिवारों से मिलने की अनुमति दे सकते हैं. जेल मैनुअल किसी भी व्यक्ति को जेल के अंदर से अपनी सरकार चलाने की इजाजत नहीं देता है.'
यह कहते हुए कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में जमानत मिलना बहुत कठिन है, सहगल ने कहा कि अगर कोई अदालत केजरीवाल की अस्थायी जमानत के लिए आदेश पारित करती है, तो वह सीएम के रूप में बने रह सकते हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत गिरफ्तार किया. धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के कड़े प्रावधानों के कारण जमानत आसानी से उपलब्ध नहीं है.
उच्च न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार करने के तुरंत बाद प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल पिछले दो महीनों में ईडी द्वारा गिरफ्तारी का सामना करने वाले दूसरे विपक्षी मुख्यमंत्री बन गए हैं. इससे पहले, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भ्रष्टाचार के एक मामले में शामिल होने के आरोप के बाद ईडी ने गिरफ्तार किया था.