बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में हुए कथित भूमि घोटाला मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी है. राज्यपाल ने कथित मुडा भूमि घोटाला मामले में सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी.
हाईकोर्ट ने विशेष कोर्ट को निर्देश दिया है कि कथित मुडा घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी, जब तक कि राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया, जो सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल के कदम को चुनौती दी गई है.
सीएम सिद्धारमैया की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा, "मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्यपाल के आदेश में कई त्रुटियां हैं. सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने का निर्देश देने के लिए जन प्रतिनिधि विशेष न्यायालय में दायर याचिकाओं का अंतिम आदेश 20 और 21 अगस्त को आएगा. अगर यह आदेश आता है, तो हाईकोर्ट में दायर आवेदन की वैधता समाप्त हो जाएगी, इसलिए निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए."
इस पर विचार करते हुए पीठ ने कहा, "मुकदमा चलाने की अनुमति देने में राज्यपाल की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली मुख्यमंत्री द्वारा दायर याचिका पर सभी दलीलें सुनी जानी चाहिए. अगर विशेष अदालत निजी शिकायत पर कोई आदेश जारी करती है, तो हाईकोर्ट की कार्यवाही निरर्थक हो जाएगी. इसलिए, शिकायत पर विशेष अदालत के फैसले को स्थगित किया जाना चाहिए. मुकदमा चलाने की दी गई अनुमति के आधार पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए."
साथ ही पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्यपाल के आदेश के संबंध में कोई रोक जारी नहीं की गई है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.
सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में क्या कहा...
सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में कहा है कि 26 जुलाई 2024 को सामाजिक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम ने राज्यपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 17 ए, 19 और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत अभियोजन की अनुमति मांगने के लिए याचिका दायर की थी. संवैधानिक पहलुओं पर विचार किए बिना ही अविवेकपूर्ण तरीके से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. नोटिस का मुख्यमंत्री ने विस्तृत जवाब दिया था. लेकिन राज्यपाल ने 16 अगस्त को एक आदेश जारी कर कैबिनेट की सलाह के बिना उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी थी.