हरिद्वार:इन दिनों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हैं, ऐसे में चारों धामों के देवों की पूजा उनके गद्दीस्थल खरसाली (खुशीमठ), मुखबा (मुखीमठ), ऊखीमठ, पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ की जा रही है. ऐसे में शीतकालीन में भी चारधाम की यात्रा चले, इसको लेकर जोर दिया जा रहा है. ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पिछले साल शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की गई थी. जिसके बाद इस साल से सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को विधिवत शुरू कर दिया है. वहीं, आज से शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद हरिद्वार से गंगा आरती कर शीतकालीन चारधाम यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं.
शंकराचार्य ने लोगों का ये भ्रम किया दूर:ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि जिस प्रकार कई प्रदेशों की शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन राजधानियां अलग-अलग होती है, उसी प्रकार चार धामों में देवों की ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन पूजन के स्थान अलग-अलग हैं. उन्होंने कहा कि शीतकाल के लिए जब चारधाम के कपाट बंद होते हैं तो लोगों में यह भ्रम हो चला था कि भगवान के दर्शन केवल 6 महीने के लिए होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है.
चारों धामों के देवों की पूजा 12 महीने लगातार चलती रहती है. ये बात अलग है कि यह पूजा ग्रीष्मकाल के अलग और शीतकाल के लिए अलग स्थान पर होती है. इसलिए उन्होंने पिछले साल से शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की थी. उन्हें खुशी है कि इस साल से उत्तराखंड सरकार ने भी शीतकालीन चारधाम यात्रा की पहल की है.