रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले एक नया सियासी समीकरण देखने को मिल रहा है. झारखंड के पूर्व मंत्री सह निर्दलीय विधायक सरयू राय जदयू में शामिल हो गये हैं. पटना में उन्होंने पार्टी का दामन थामा. जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्यसभा संजय कुमार झा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका स्वागत किया.
इसको लेकर संजय कुमार झा ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट डालते हुए लिखा है कि 'जदयू परिवार में आपका स्वागत है. झारखंड के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री, जमशेदपुर पूर्वी के माननीय विधायक सरयू राय जी को जदयू की सदस्यता दिलाई. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के साथ उनका पिछले कई दशकों से व्यक्तिगत संबंध रहा है. मुझे विश्वास है, सरयू राय जी के आने से झारखंड में पार्टी को मजबूती मिलेगी. इस मौके पर बिहार सरकार के माननीय मंत्री एवं जदयू के झारखंड प्रदेश प्रभारी अशोक चौधरी जी, माननीय मंत्री श्रवण कुमार जी, माननीय राज्यसभा सांसद सह जदयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो जी, माननीय विधान पार्षद संजय गांधी जी और प्रदेश महासचिव मनीष कुमार जी मौजूद थे'.
विधायक सरयू राय को झारखंड की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है. सूत्रों से जो जानकारी मिली है उनके मुताबिक अभी सिर्फ सरयू राय ने जदयू की सदस्यता ली है. बहुत जल्द वे अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में करेंगे. झारखंड जेडीयू के अध्यक्ष खीरू महतो ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि दिल्ली स्थित जदयू कार्यालय में सरयू राय को पार्टी की सदस्यता दिलाई गयी है. उन्होंने कहा कि सरयू राय अपनी पार्टी के जदयू में विलय की घोषणा बहुत जल्द करेंगे.
सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक जनता दल यूनाइटेड पार्टी का संविधान बनाने में भी सरयू राय ने अहम भूमिका निभाई थी. लोकसभा चुनाव 2024 के बाद केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार को जदयू का समर्थन है. इसलिए झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए फोल्डर में जदयू को सीटें मिलने की संभावना है. ऐसे राजनीतिक समीकरण के बीच सरयू राय के जदयू में जाने से झारखंड में पार्टी को मजबूती मिलने की संभावना है.
आपको बता दें कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर सरयू राय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को उनके ही जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में चुनौती दी थी और चुनाव भी जीतने में सफल रहे थे. इसके बाद उन्होंने भारतीय जन माेर्चा (भाजमो) पार्टी का गठन किया था इस पार्टी में उन्होंने भाजपा से निष्कासित अपने करीबियों को जगह दी थी.